2007 न्यूयॉर्क के सम्मेलन में दी गयी फा की सीख
 

ली होंगज़ी
7 अप्रैल, 2007 ~ मैनहट्टन

अभिवादन! (तालियाँ) आप कड़ा परिश्रम कर रहे हैं! (तालियाँ)

फा सम्मेलन दाफा शिष्यों की एक भव्य सभा है, और यहाँ उपस्थित आप में से कुछ लोगों ने फा सम्मेलन में भाग लेकर अपनी कमियों और खामियों को पहचानने और इस प्रकार उन मामलों में आगे बढ़ने के लिए हजारों मील की यात्रा की है। दाफा शिष्यों की व्यक्तिगत साधना और सुधार अब कोई मुद्दा नहीं है, न ही दाफा शिष्यों का फलपदवी प्राप्त करना। अभी, एक महत्वपूर्ण बात जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है, वह यह है कि अधिक चेतन जीवों को कैसे बचाया जाये, और यह कुछ ऐसा है जिसे दाफा शिष्यों को फलपदवी प्राप्त करने की अपनी वर्तमान प्रक्रिया के दौरान पूरा करना है। यह दाफा शिष्यों का उद्देश्य है, एक ऐसा कर्तव्य जिसे टाला नहीं जा सकता, कुछ ऐसा जिसे उन्हें अवश्य ही करना होगा और पूरा करना ही होगा।

भूतकाल में कई भविष्यवाणियों में कहा गया था कि किसी युग में बहुत से लोगों को हटा दिया जायेगा और केवल कुछ ही अच्छे लोग बचेंगे। बहुत पहले, मैंने स्वयं एक बार कहा था, "मुझे केवल अपने लोग चाहिए।" पश्चिम में, कई दंतकथाओं और बाइबल ने यह बताते हुए विवरण दिए हैं कि न्याय के दिन केवल कुछ प्रतिशत लोग ही बचेंगे। शुरुआती स्थिति यह थी कि संसार के लोग, जिसमें तीनों लोकों के सभी चेतन जीव सम्मिलित थे, तीनों लोकों के भीतर के भौतिक तत्वों से बने थे। तीनों लोकों में भौतिक तत्व दिव्यलोकों में उपस्थित तत्वों से पूर्ण रूप से भिन्न हैं, इसलिए ऐसे प्राणी दिव्यलोकों में नहीं जा सकते थे और केवल इसी लोक में रह सकते थे। लेकिन बाद में, इतिहास में निरंतर हो रहे बदलावों और आधुनिक समय तक के बदलावों के अनुसार, इस स्थिति में बड़े बदलाव हुए।

मैं पहले भी इसके बारे में विस्तार से बता चुका हूँ—कई उच्च-स्तरीय प्राणी मानव संसार में आये और मनुष्य के रूप में पुनर्जन्म लिया। दूसरे शब्दों में, बाहरी रूप से वे मनुष्य दिखते थे और उनकी संरचना भी मानवीय थी। लेकिन मूल स्तर पर, मानव जगत के सबसे सतही पदार्थ के सूक्ष्म ब्रह्मांडीय पदार्थों के भीतर, या मानव सतह के पदार्थ के पीछे, वे फिर भी त्रिलोक से परे थे। कई मनुष्य शरीरों को—जैसे कोई वस्त्र—उन देवताओं द्वारा धारण किया गया है जो उच्च स्तर से संसार में उतरे हैं; इस प्रकार वे मनुष्य दिखते हैं, लेकिन मूल रूप से वे उच्च स्तर के प्राणी हैं। निःसंदेह, चाहे कोई भी आये, और चाहे ये प्राणी या देवता कितने भी ऊँचे स्तर से आये हों, एक बार जब वे मानव संसार में आते हैं, तो वे भ्रम के समाज में प्रवेश करते हैं और किसी भी ज्ञान से रहित होते हैं। दूसरे शब्दों में, वे अब देवता नहीं रहे, बल्कि मनुष्य बन गये। ऐसी परिस्थितियों में, चाहे वे कितने भी ऊँचे स्तर से क्यों न आये हों, उनके दिव्य पक्ष उभरने में असमर्थ होते हैं और उनका ज्ञान बंधित कर दिया जाता है, जिससे वे बिल्कुल मनुष्यों की तरह हो जाते हैं। जब समाज अच्छा कर रहा होता है, तो वे समग्र रूप से नैतिकता के एक निश्चित मानक पर चल सकते हैं जो समाज की समग्र स्थिति के अनुरूप होता है, और यह मनुष्यों या अन्य प्राणियों के लिए इतनी भयावह संभावना नहीं है। लेकिन यदि समाज की नैतिकता तेजी से गिरती है या यदि प्राचीन शक्तियां जानबूझकर मानव समाज को नीचे की ओर ले जाती हैं, तो यह सभी जीवों के लिए बेहद भयावह बात है, जिसमें उच्च स्तर के देवता भी सम्मिलित हैं जो मनुष्य के रूप में नीचे आये।

वास्तव में, आज के चीनी समाज में, लोगों के नैतिक मूल्यों ने उस अवस्था का बहुत उल्लंघन किया है जिसे देवताओं ने मनुष्य के लिए तब निर्धारित किया था जब देवताओं ने पहली बार मनुष्य का निर्माण किया था। दूसरे शब्दों में, अब लोग मानवीय अवस्था में नहीं हैं। अप्रिय शब्दों में कहें तो, वे अब मनुष्य होने के योग्य नहीं रहे। अतीत में, इस फा-सुधार उपक्रम के अभाव में, वे नष्ट हो गये होते। इतिहास के दौरान, मानव जाति एक के बाद एक आपदाओं से गुजरी है, और बार-बार नष्ट हुई है। बड़े ब्रह्मांड के लिए चीजें उसी तरह काम करती हैं, इसमें मानव शरीर की उपापचयी प्रक्रिया की तरह कुछ होता है : जब कोशिकाएँ वृद्ध हो जाती हैं और स्वस्थ नहीं रहती हैं, तो उन्हें त्याग दिया जाता है, और अच्छी कोशिकाओं को नये सिरे से बनाया जाता है। बड़े ब्रह्मांड के विभिन्न क्षेत्रों में, इस प्रकार की घटना न केवल बार-बार होती है, बल्कि वास्तव में निरंतर होती रहती है—और यह बिल्कुल स्वाभाविक है। फिर एक मनुष्य के लिए, उसका जीवन सबसे निचले स्तर पर है; और सबसे निचले स्तर पर एक प्राणी के रूप में, चाहे वह स्वयं को कितना भी महान क्यों न समझे, वह देवताओं की दृष्टि में कुछ भी नहीं है, और जब वह अच्छा नहीं होगा, तो उसे हटा दिया जायेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि ब्रह्मांड में फा-सुधार और सभी चेतन जीवों का उद्धार आज हो रहा है, इसलिए पतित मनुष्यों को हटाया नहीं गया है। यह मानव जाति की स्थिति के कारण है, जो कुछ बदलावों से गुजरी है और साथ ही दाफा शिष्यों को इस घटना के माध्यम से अपने स्वयं के महान सदगुण को स्थापित करने की आवश्यकता है, जिसके कारण मानवता को जीवित रहने और आगे बढ़ने की अनुमति दी गयी है। दाफा शिष्यों के रूप में, यदि अभी आप ऐसा नहीं कर सकते हैं और प्राणियों को उद्धार की ओर नहीं ले जा सकते हैं, तो आप अपनी कभी की गयी प्रतिज्ञाओं को पूरा करने में असफल हो गये होंगे, और सम्पूर्ण फा-सुधार, ब्रह्माण्ड और चेतन जीवों के लिए संकट ले आये होंगे। इसीलिए मैंने अभी कहा कि यह कुछ ऐसा है जो दाफा शिष्यों को अच्छे प्रकार से करना चाहिए।

जब हम इस विषय पर चर्चा कर ही रहे हैं तो मैं आपको त्रिलोक के बारे में और अधिक बताता हूँ। मानव समाज की वर्तमान स्थिति के होते हुए भी; कि कैसे त्रिलोक में रहने वाले प्राणी स्वयं को इतना महत्वपूर्ण मानते हैं; कि समाज में लोग स्वयं को कितना उन्नत, निपुण, शक्तिशाली और धनी समझते हैं; या कि कैसे प्रत्येक राष्ट्र, प्रत्येक सरकार और प्रत्येक तथाकथित निपुण व्यक्ति स्वयं को वास्तव में उल्लेखनीय समझता है—मैं आपको बता सकता हूँ, आज मानवजाति की हर चीज, जिसमें इतिहास में घटित प्रत्येक घटना और त्रिलोक का उद्भव सम्मिलित है, फा-सुधार के लिए अस्तित्व में है। दूसरे शब्दों में, हर चीज का निर्माण इस फा-सुधार के लिए किया गया था, हर चीज यहाँ इस फा-सुधार के लिए आयी थी, और इस प्रक्रिया के अंतर्गत हर चीज इस फा-सुधार के लिए स्थापित की गयी थी। मानव जाति की हर चीज—जिसमें जीवन, पदार्थ, वह सब कुछ सम्मिलित है जिसे एक व्यक्ति जान सकता है, समझ सकता है और जिसकी समझ तक पहुंच सकता है—इस फा-सुधार प्रक्रिया के लिए अस्तित्व में है, अन्यथा बिल्कुल अस्तित्व में नहीं आती।

दूसरे शब्दों में कहें तो, त्रिलोक की रचना इसलिए की गयी थी जिससे अंततः ब्रह्मांड में सभी प्राणियों को फा-सुधार के दौरान बचाया जा सके, और इस प्रकार दाफा शिष्य सफल हो सकें। अन्यथा त्रिलोक का अस्तित्व नहीं होता। मानव समाज त्रिलोक के भीतर एक कण मात्र है—एक ऐसा समाज जिसका अस्तित्व एक छोटे से कण पर है, जो इतना महत्वहीन है कि उसका उल्लेख भी नहीं किया जा सकता—और चाहे इसके अंदर के मनुष्य अपनी चीजों को कितना भी महान क्यों न मानते हों, चाहे मनुष्य मानव जाति की चीजों को कितना भी महत्वपूर्ण क्यों न मानते हों, चाहे मनुष्य मानव जाति की उपलब्धियों को कितना भी महान क्यों न मानते हों, और चाहे मानव जाति कितनी भी विकसित हुई हो, ये सभी सोच हैं जो मनुष्यों ने मानवीय दृष्टिकोण से चीजों को देखकर बनायी हैं। जब लोग भ्रम की स्थिति में रहते हुए सोचते हैं कि मानव समाज उल्लेखनीय है, तो यह उनके द्वारा वास्तविक स्थिति को न जानने का परिणाम है। मनुष्य [अपने बारे में] जो भी कहें, लेकिन देवता उन्हें इस प्रकार नहीं देखते हैं। एक बार जब सभी प्राणी मानव जीवन के पीछे के वास्तविक उद्देश्य और उस परिवेश के बारे में जान जाते हैं जिसमें मनुष्य रहता है, तो वे इस निष्कर्ष पर पहुँचेंगे कि मानव जाति का “विकास” उसके पालन-पोषण की प्रक्रिया से अधिक कुछ नहीं है और मानव समाज की स्थिति को बनाये रखना है, जबतक कि अंतिम प्रमुख घटना का आगमन नहीं हो जाता है। सभी चीजें मानव जाति की स्थिति को बनाए रखने की प्रक्रिया में विशिष्ट अभिव्यक्तियों से अधिक कुछ नहीं रही हैं, और वास्तविक उद्देश्य इस अंतिम चरण की प्रतीक्षा करना रहा है—देवताओं का आगमन और फा-सुधार का आरम्भ।

मैंने 1992 में ही फा सिखाना आरम्भ कर दिया था। उस समय दाफा शिष्य निरंतर फा का प्रसार कर रहे थे, और अब, दमन सहते हुए, दाफा शिष्य वैश्विक स्तर पर सभी प्राणियों को बचा रहे हैं। और संसार के जिन लोगों को दाफा शिष्य बचा रहे हैं, उनमें हाल के समय में बदलाव हुए हैं। मानव जाति जिसकी प्रतीक्षा कर रही थी और जिसकी भविष्यवक्ताओं ने भविष्यवाणी की थी, वह होने जा रहा है। खोये हुए और भ्रमित, और भौतिक लाभ, झूठे दिखावे और झूठ से प्रेरित होकर, लोग यह मानने का साहस नहीं करते कि अंतिम चरण का सबकुछ वास्तव में आरम्भ हो गया है और प्रगति पर है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे मानव समाज अभी भी हमेशा की तरह काम कर रहा है, और सब कुछ सुचारू रूप से, स्थिर और सामान्य रूप से चल रहा है। लेकिन वास्तव में, सबकुछ फा-सुधार के लिए हो रहा है। जब देवता यहाँ आते हैं, तो वे इसका बड़ा दिखावा या कोई बड़ा ब्रह्मांडीय प्रदर्शन नहीं करते—"मैं आ गया हूँ, मेरी हर बात सुनो, और मैं आप सभी को बिना शर्त दिव्यलोक ले जाऊँगा।" ऐसा कभी नहीं होगा। मनुष्यों को इतिहास के दौरान किए गये पापों का भुगतान करना होगा। वे देवताओं को देखने के योग्य हैं या नहीं, यह उतना सरल नहीं है जितना मनुष्य कल्पना करते हैं। मनुष्य फा प्राप्त करने और दिव्यलोक में जाने के योग्य हैं या नहीं, यह कुछ ऐसा है जिसे भ्रम में रहते हुए परीक्षण करने की आवश्यकता है, और इसलिए देवता स्वयं को उस प्रकार प्रकट नहीं करेंगे। जब देवता मानव समाज में स्वयं को प्रकट करते हैं तो वे मनुष्यों के समान ही प्रतीत होंगे, लेकिन वे जो कहते हैं वह सत्य ही होता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या मानवीय नैतिकता और नैतिक मूल्यों की आधार रेखा लोगों को अभी भी [उस देवता] को पहचानने में सक्षम करती है, और क्या वे अभी भी उन सबसे मूल नैतिक मानकों पर खरे उतरते हैं जो ब्रह्मांड ने मानव जाति के लिए निर्धारित किये हैं—जिसका अर्थ है, लोगों का उच्चतम नैतिक मानक यह निर्धारित करता है कि वे उस फा को पहचान सकते हैं या नहीं जो सभी प्राणियों को बचाने के लिए आया है। यदि आप इसे पहचानने में सक्षम हैं, तो आपकी रक्षा और उद्धार किया जायेगा। यदि आप इसे पहचानने में सक्षम नहीं हैं, तो आप उद्धार से परे हैं और आपको नहीं रखा जा सकता है। और यह नैतिक आधार रेखा के पतन का परिणाम है; नैतिकता के बिना, कोई भी व्यक्ति अब मानव होने के मानक को पूरा नहीं करता है। प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक, चाहे पूर्व में हो या पश्चिम में, लोगों ने हमेशा मानवीय नैतिकता पर जोर दिया है। हालाँकि, आधुनिक काल में, समाज में कितने लोग वास्तव में इसे महत्व देते हैं? अंत में, उस समय के दौरान जब देवताओं को लोगों को बचाना चाहिए, हालांकि किसी व्यक्ति की नैतिकता के स्तर को सीधे तौर पर ध्यान में नहीं रखा जाता है, उसकी अपनी नैतिकता के कम होने से उसकी आधारभूत रेखा का पतन हो जाता है, और यही कारण है कि वह फा को मानने और उसे पहचानने में विफल हो जाता है। क्या यही कारण नहीं है कि उसकी रक्षा और उद्धार नहीं किया जा सकता?

भूतकाल में, मानव समाज ने हमेशा एक ऐसी स्थिति बनाये रखी जिसमें नैतिक मूल्यों को काफी गंभीरता से लिया जाता था। वर्त्तमान में, लोगों का उद्देश्य फा प्राप्त करना और बचाया जाना और उद्धार प्राप्त करना था। लेकिन प्राचीन शक्तियां इतने लोगों को बचाना नहीं चाहती थीं, और मानव जाति के एक भाग को नष्ट करना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने मानव समाज के लिए दुष्ट कम्युनिस्ट पार्टी बनायी, और विशेष रूप से महत्वपूर्ण बात यह है कि दुष्ट सीसीपी ने मानवीय नैतिकता को कमजोर करने के लिए बहुत कुछ किया है और पार्टी की एक संस्कृति बनायी है, साथ ही लोगों के सोचने के तरीकों को भी बदला है, जिसका लक्ष्य लोगों को समय आने पर फा प्राप्त करने से रोकना है। इस प्रकार बदली हुई धारणाएँ दुष्ट पार्टी की संस्कृति द्वारा स्थापित मानसिकता के साथ चीजों को देखती हैं। मानवीय सोच और मानवीय संस्कृति की पूर्ण रूप से उपेक्षा करना, [जैसा कि पार्टी ने लोगों से करवाया है] एक पथभ्रष्ट व्यक्ति बनने और उन लोगों का भाग बनने के समान है जिन्हें नष्ट किया जाना है। चीनी संस्कृति के पाँच हजार वर्षों ने मानव जाति की सभी संस्कृतियों, सोचने के तरीकों और व्यवहार के तरीकों की नींव रखी, और यह देवता ही थे जिन्होंने व्यवस्थित रूप से यह सब बनाया। फिर भी इसे एक दुष्ट पार्टी द्वारा बर्बाद, नष्ट कर दिया गया है, जिसे प्राचीन शक्तियों द्वारा बढ़ावा दिया गया है। कुछ दशकों की इस छोटी सी अवधि में, यह निरंतर चीन की प्राचीन संस्कृति को नकारती रही है और चीन की प्राचीन सभ्यता को कुचलती रही है। देवताओं ने मनुष्यों को विचार, नैतिकता और सभ्यता प्रदान की जिससे अंतिम चरण में मनुष्य इनका उपयोग उचित और अनुचित में अंतर करने, फा को समझने और बचाये जाने के लिए कर सके। दुष्ट सीसीपी न केवल व्यवस्थित तरीके से और जानबूझकर इन सभी को हानि पहुँचा रही है, बल्कि व्यवस्थित तरीके से और जानबूझकर लोगों में पार्टी की दुष्ट संस्कृति भी भर रही है। यह इसे "लोगों को शिक्षित करना" और "लोगों को सुधारना" कहती है—वे इसे स्पष्ट शब्दों में कहते हैं—और यह आपको अपना दृष्टिकोण भी बदलने पर विवश करती है, एक ऐसा परिवर्तन जो आपको दुष्ट सीसीपी द्वारा बनाए गये आचरण, सोचने के तरीके और मानसिकता का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करता है। जब चीनी लोग दुष्ट पार्टी द्वारा स्थापित दृष्टिकोण के साथ चीजों को देखते हैं, तो उनके लिए, इस प्रकार "सुधार" किए जाने के बाद, मानव संसार में उचित और अनुचित या अच्छे और बुरे में अंतर करना या उनके लिए फा या सत्य को पहचानना वास्तव में कठिन होता है। वृद्ध लोग और पुरानी पीढ़ी के लोग किसी समय प्राचीन मानव संस्कृति द्वारा शिक्षित और ढाले गये थे, [उनका युग] दुष्ट सीसीपी की संस्कृति के प्रकट होने से पहले का था। हालाँकि दुष्ट सीसीपी की चीजें वर्तमान में अस्तित्व में आयीं, लेकिन उन लोगों की नैतिक आधार रेखा आज भी ज्यों की त्यों है, और वे मूल स्तर पर अच्छे और बुरे में अंतर बता सकते हैं। सबसे अधिक शोचनीय आधुनिक युवा हैं, जिनके मन में दुष्ट सीसीपी के आधुनिक विचार पूर्ण रूप से भरे हुए हैं, और फिर भी ये लोग सोचते हैं कि वे महान हैं और यह कि वे सबकुछ समझ जाते हैं। उनकी यह अनुचित सोच है कि मानव जाति की, लोगों के संबंधों, मूल्य प्रणालियों और नैतिक संबंधों की अव्यवस्थित स्थिति—जो कि सीसीपी द्वारा जानबूझकर उन चीजों को बर्बाद करने का परिणाम है—हमेशा से इतिहास में ऐसी ही रही है, और उन्हें लगता है कि इस प्रकार व्यवहार करना मानवीय सहज प्रवृत्ति है। इसके अतिरिक्त, धर्म विरोधी विकास का सिद्धांत भी है, जिसके अनुसार वे वास्तव में स्वयं को पशु मानते हैं, इस तथ्य से अनभिज्ञ कि यह सीसीपी के जानबूझकर किए गये कार्यों के परिणामस्वरूप हुआ है। लोग भूल गये हैं कि मानव जाति किस बात की प्रतीक्षा कर रही है और मानव होने का वास्तविक उद्देश्य क्या है, लेकिन दुष्ट पार्टी की दुष्ट काली छाया यह सब जानती है, और इसलिए वह जानबूझकर मनुष्यों को भ्रष्ट कर रही है। वह व्यर्थ, आधुनिक प्रकार की अज्ञानता उन्हें ब्रह्मांड की सच्चाई को पहचानने से पूर्ण रूप से रोक रही है, और यह इस पीढ़ी के लिए एक भयावह संभावना है।

निःसंदेह, यह फा-सुधार के बारे में और सभी प्राणियों को बचाने के बारे में है, और क्या देवता सर्वशक्तिमान नहीं हैं? और क्या बुद्ध फा असीम नहीं हैं? वास्तव में, प्राणियों को बचाने की प्रक्रिया में दाफा की असीमित फा शक्ति पूर्ण रूप से प्रदर्शित हो रही है। जब दाफा का पहली बार प्रसार किया जा रहा था, तो मैंने सतही तौर पर कुछ कहा था : मैंने कहा था कि सभी के लिए उद्धार का द्वार खुला है—इतना खुला कि अब कोई द्वार ही नहीं रहा है। इतिहास के दौरान चेतन जीवों द्वारा की गयी कोई भी गलती उनके विरुद्ध नहीं मानी जानी जायेगी, क्योंकि विभिन्न स्तरों पर सभी प्रकार के प्राणी अब अच्छे नहीं रहे, और एक भी स्तर अब उस स्तर के मानक को पूरा नहीं करता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि उच्च स्तर पर उपस्थित लोग अब निम्न स्तर के मानक को पूरा नहीं करते हैं। बल्कि, एक दिव्य प्राणी को उस स्तर के मानक को पूरा करना चाहिए जिस पर एक दिव्य प्राणी है—ऐसा नहीं चलेगा कि आप केवल एक मनुष्य के मानक को पूरा करते हैं। यदि आप केवल एक मनुष्य के मानक को पूरा करते हैं, तो आप एक मनुष्य हैं । दूसरे शब्दों में, प्रत्येक स्तर पर प्राणी अब अपने स्तर के मानकों को पूरा नहीं करते हैं, और इसमें मनुष्यों का मनुष्यों के लिए मानक को पूरा न करना भी सम्मिलित है। तो इस बिंदु पर, चेतन प्राणियों को बचाने के लिए क्या किया जाना चाहिए?

आप सभी जानते हैं कि ब्रह्मांड में अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के प्राणी अस्तित्व में हैं। जहाँ बुद्ध हैं, वहाँ असुर हैं। जहाँ सकारात्मक देवता हैं, वहाँ नकारात्मक देवता हैं। वे एक दूसरे के विपरीत हैं क्योंकि वे ब्रह्मांड के अवश्यंभावी परिणाम हैं। फिर यदि कोई सभी प्राणियों को बचाना चाहता है, तो इसका एक ही तरीका है, वह है, उन सभी गलतियों को अनदेखा करना जो सभी प्राणियों ने अपने जीवन जीते हुए की हैं। उन्हें केवल तभी बचाया जा सकता है जब इतिहास में सभी प्राणियों द्वारा की गयी गलतियों को किनारे कर दिया जाये। दूसरे शब्दों में, पूरा ब्रह्मांड अब अच्छा नहीं रहा, तो इस बात पर ध्यान देने का क्या अर्थ है कि कौन किससे थोड़ा बेहतर है? भले ही कोई दूसरों से थोड़ा बेहतर हो, फिर भी वह ब्रह्मांड द्वारा बनाये गये मानक को पूरा नहीं कर सकता, इसलिए उन्हें बचाने की प्रक्रिया में ऐसी चीजों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जाता है। फिर क्या देखा जाता है? ध्यान इस बात पर दिया जाता है कि जब किसी व्यक्ति को उद्धार का प्रस्ताव दिया जाता है, तो क्या वह इस फा को पहचानने में सक्षम होता है जो उसे बचाने के लिए यहां है! क्योंकि भविष्य की हर चीज इसी फा द्वारा बनायी गयी है, इसलिए भविष्य में प्राणी उसी वातावरण में रहेंगे जो यह फा उन्हें प्रदान करेगा। जो कोई भी भविष्य में पहुँचने में सक्षम होगा, वह फा द्वारा शुद्ध किए जाने और फा में आत्मसात होने के बाद ही ऐसा कर पाएगा। यदि आप इस फा को भी नहीं पहचान सकते, तो निश्चित रूप से आप नहीं रह सकते। यदि आपको रहना हो तो आप कहां जाएंगे? भविष्य का ब्रह्मांड इसी फा द्वारा बनाया गया है, इसलिए आपके लिए कोई स्थान नहीं होगा, और फिर आप अस्तित्व में नहीं रहेंगे।

इसे और अधिक स्पष्ट रूप से कहें तो, अभी, फा-सुधार के दौरान, चाहे चेतन जीवों ने कितने भी बड़े पाप किये हों या अतीत में उन्होंने कितनी भी गंभीर गलतियाँ की हों, केवल एक चीज जिस पर ध्यान दिया जाता है वह है फा-सुधार अवधि के दौरान दाफा और दाफा शिष्यों के प्रति उनका दृष्टिकोण। बस यही एक विभाजन रेखा है। वास्तव में, यह रेखा कोई रेखा नहीं है; यह केवल इस बारे में है कि आप भविष्य काल में प्रवेश करना चाहते हैं या नहीं। संसार को धोखा देने वाले झूठ के बीच, और दुष्ट सीसीपी द्वारा बनायी गयी दुष्ट संस्कृति के बीच, कितने लोग अभी भी उस बात को पहचान सकते हैं? कितने लोग उचित और अनुचित में अंतर कर सकते हैं? कितने लोग दुष्ट सीसीपी की दुष्टता को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं? ऐसा करना बहुत कठिन है, और इसीलिए दाफा शिष्य तथ्यों को स्पष्ट करते हैं, दुष्टता को उजागर करते हैं, और लोगों को दुष्ट सीसीपी को परखने में सहायता करते हैं। केवल इन चीजों को करने से ही संसार के लोगों को बचाया जा सकता है। दाफा शिष्यों को बिलकुल यही करना है।

कुछ लोग कहते हैं, "जब आप लोग नाइन कमेंटरीज का प्रचार कर रहे हैं या दुष्ट सीसीपी को उजागर कर रहे हैं, तो क्या आप राजनीतिक नहीं हो रहे हैं?" तो, "राजनीतिक" होना क्या है? पश्चिमी लोगों के मन में, धार्मिक गतिविधियों को छोड़कर, सार्वजनिक क्षेत्र में होने वाली सभी चीजें राजनीतिक मानी जाती हैं। संसार में "राजनीतिक" शब्द को इसी प्रकार परिभाषित किया जाता है। धार्मिक गतिविधियां समाज में व्यक्ति की गतिविधियों का एक भाग हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की गतिविधियों में से, उस प्रकार की, अर्थात धार्मिक गतिविधियों को छोड़कर, सब कुछ राजनीतिक गतिविधि की श्रेणी में आता है। तो फिर किसे राजनीतिक गतिविधि नहीं माना जाता है? जब आप घर पर खाना बना रहे होते हैं और घरेलू कामों में व्यस्त होते हैं तो इसे राजनीतिक नहीं माना जाता है। लेकिन जैसे ही आपकी गतिविधियाँ समाज के साथ घुलती मिलती हैं, उन्हें राजनीतिक माना जाता है। यह एक स्वतंत्र समाज के दृष्टिकोण से बात को कहना है। लेकिन यह अभी भी कोई बड़ी बात नहीं है, भले ही इसे दुष्ट सीसीपी द्वारा गढ़ी गयी "राजनीति" के विकृत दृष्टिकोण से देखा जाये। "राजनीति" का वह विकृत संस्करण लोगों पर आक्रमण करने के लिए उपयोग की जाने वाली छड़ी है। हालाँकि, यदि राजनीति के माध्यम से लोगों को बचाया जा सकता है, तो हम उस रूप का उपयोग कर सकते हैं—इसमें अनुचित क्या होगा? मैंने एक क्षण पहले कहा था कि तीनों लोकों में सब कुछ दाफा के लिए बनाया गया था, दाफा के लिए विकसित किया गया था, और दाफा के लिए आया था। इस फा-सुधार के बिना, मानव जाति का कुछ भी अस्तित्व में नहीं होगा। फिर दूसरे तरीके से सोचते हुए, इस पर विचार करें : क्या यह सब दाफा के लिए प्रदान नहीं किया गया है? क्या यह सब लोगों को बचाने के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए? क्या इनका उपयोग दाफा शिष्यों की साधना के लिए नहीं किया जाना चाहिए? निश्चित रूप से किया जाना चाहिए! केवल यह प्रश्न है कि मैं, ली होंगज़ी, दाफा शिष्यों के लिए क्या निर्धारित करता हूँ।

दूसरे दृष्टिकोण से कहें तो, दाफा शिष्यों द्वारा साधना करने का तरीका इतिहास में किसी भी साधना पद्धति से अलग है। परिणामस्वरूप, बहुत से लोगों की सोच [विकास के साथ] तालमेल नहीं रख पायी है और वे भ्रमित अनुभव करते हैं, क्योंकि वे दुष्ट सीसीपी द्वारा उनमें डाली गयी सोच का उपयोग यह देखने के लिए कर रहे हैं कि अतीत और वर्तमान एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं, और दाफा शिष्यों द्वारा की जाने वाली साधना की व्याख्या अतीत की धार्मिक साधना के प्रकाश में करते हैं। ऐसे लोग सोचते हैं कि अतीत की साधना ही वह तरीका है जिससे मनुष्य को साधना करनी चाहिए, और आस्था के अतीत के रूप वास्तव में लोगों को दिव्यलोक में वापस जाने में सक्षम बना सकते हैं। लेकिन लोग दिव्यलोक लौटने में बिल्कुल भी सक्षम नहीं थे। अब पश्चिमी समाज के लोगों सहित अधिक से अधिक लोगों को यह एहसास हो गया है, और वे और भी गहराई से समझ रहे हैं कि मनुष्य पुनर्जन्म लेते हैं। जब कोई इस मानव स्थान पर आता था, तो उसके पास दिव्यलोकों में फिर से जाने का कोई साधन नहीं होता था। और यह पूर्णतः सत्य था—कोई भी दिव्यलोकों में नहीं जा सकता था। सह आत्माएँ (फु युआनशेन) त्रिलोक के भीतर नहीं थीं, हालाँकि वे त्रिलोक के आस-पास थीं। यह मेरे उस मेज के आस-पास खड़े होने के समान है, लेकिन मेज के भीतर जाने के समान नहीं है। यही कारण है कि सह आत्मा साधना में सफल हो सकी और दिव्यलोकों में वापस लौट सकी। लेकिन उन मामलों में भी, क्योंकि वह त्रिलोक के आसपास आ गयी थी, एक बार जब वह दिव्यलोकों में लौटती है तो उच्च स्तर के देवता उसके चारों ओर एक आवरण डाल देते हैं, जो उसे दिव्यलोकों में रहने वाले प्राणियों से हमेशा के लिए अलग कर देता है। हालाँकि, वह आवरण नहीं देख सकती। इसका उद्देश्य उसे दिव्यलोकों और वहाँ के चेतन प्राणियों को दूषित करने से रोकना है। यदि मैंने इसके बारे में बात नहीं की होती, तो देवताओं को भी इसके बारे में पता नहीं चलता।

दूसरे शब्दों में, जिसने भी त्रिलोक में प्रवेश किया और इस मानव स्थान पर आया वह गिर गया था, और फिर कभी ऊपर नहीं उठ सका, क्योंकि अतीत में मानव जाति के पास कभी भी सच्चा फा नहीं था जो मानव को दिव्यलोकों में लौटने में सक्षम बना सके। ऐसा कहा जाता है कि शाक्यमुनि ने धर्म की शिक्षा दी, और ईसा ने मार्ग की शिक्षा दी। लेकिन वास्तव में, उन्होंने जो सिखाया वह प्रत्येक व्यक्ति की केवल एक आत्मा, एक सह आत्मा के लिए था, जबकि यहाँ पर उपस्थित मानवीय पक्ष इसे समझ नहीं सकता था, और इससे सतह पर उपस्थित व्यक्ति और उसकी मुख्य आत्मा (जू युआनशेन) के लिए साधना के माध्यम से स्वयं को बदलना असंभव हो गया। लोग इस बारे में बात करते हैं कि बुद्ध शाक्यमुनि ने किस प्रकार फा का प्रसार किया। हालाँकि, वे और उनके जैसे अन्य केवल मानव जाति की संस्कृति की स्थापना कर रहे थे। मैंने इन चीजों के बारे में तब बात की थी जब मैंने पहली बार [फा की शिक्षा प्रदान करनी] आरम्भ की थी। जब मनुष्यों को पहली बार देवताओं द्वारा बनाया गया था, तो उनके मन एक रिक्त स्लेट की भांति थे। उनके पास इस संसार को समझने की कोई क्षमता नहीं थी। उनके पास कोई वास्तविक जीवन का अनुभव नहीं था, उन्होंने कभी कोई बाधा या कठिनाई नहीं झेली थी, और वे अपने जीवन जीते हुए चार ऋतुओं के बीच अंतर भी नहीं बता सकते थे। मनुष्य को संसार के बारे में जानने और समझने की एक प्रक्रिया दी जानी थी—एक ऐसी प्रक्रिया जिसका उद्देश्य संस्कृति के विभिन्न रूपों को निरंतर स्थापित करना था—और इस प्रकार मानव जाति के लिए सोचने का एक व्यवस्थित, उचित तरीका और नैतिक मान्यताओं का निर्माण करना था। ऐसा कुछ इतिहास में एक बहुत लंबी प्रक्रिया के माध्यम से ही बनाया जा सकता है, और इसलिए मानव जाति को इतिहास के इतने वर्षों से गुजरना पड़ा। त्रिलोक और मानव जाति का निर्माण तब नहीं किया जा सकता था जब फा-सुधार प्रकट हो रहा था। ऐसा नहीं हो सकता था, इसलिए एक ऐतिहासिक प्रक्रिया होनी चाहिए थी जो मानव जाति को इतिहास में उस प्रक्रिया के दौरान वास्तविक जीवन के अनुभवों से गुजरते हुए तर्कसंगत स्तर पर चीजों को समझने में सक्षम बनाये। केवल तभी मनुष्य की आज की स्थिति, मानसिकता, बाहरी दिखावट, नैतिक विश्वास और आचरण स्थापित हो सकता था।

फिर इस संसार में वास्तविक जीवन के अनुभवों से गुजरने और संसार के बारे में सीखने की इस प्रक्रिया के दौरान, मानव जाति की संस्कृति की स्थापना के दौरान, मनुष्यों को निश्चित रूप से सबसे महत्वपूर्ण चीजों के बारे में बताया जाना था, जैसे : देवता क्या हैं? बुद्ध क्या हैं? ताओ क्या हैं? और विभिन्न देवता क्या हैं? तो, मानव जाति की संस्कृति कैसे स्थापित हुई? इन देवताओं को मानव संसार में भेजा गया जिससे वे मनुष्यों को बचाये जाने के माध्यम से इन चीजों के बारे में सिखा सकें। वास्तव में, लोगों को बचाने के लिए, मैंने अभी कहा कि जो बचाये गये वे सह आत्माएँ थीं। एक भी व्यक्ति दिव्यलोकों में वापस नहीं जा सका है—सभी अभी भी मानव जगत में पुनर्जन्म ले रहे हैं। चूँकि सह आत्मा व्यक्ति के बाह्य रूप से प्रभावित होती है, इसलिए उसका स्वरूप व्यक्ति जैसा ही होता है। जिनके पास ज्ञानप्राप्ति की अच्छी जन्मजात क्षमता है, वे देख सकते हैं कि वह दिव्यलोकों में वापस आ गया है, लेकिन यह दिव्य प्राणी केवल एक मानव की सह आत्मा थी, जिसकी छवि व्यक्ति जैसी ही थी। हालाँकि, वह वास्तव में उस व्यक्ति का मुख्य शरीर नहीं था, और व्यक्ति को अभी भी पुनर्जन्म से गुजरना पड़ता है। इतिहास को ठीक इसी प्रकार, चरण दर चरण, वर्तमान तक स्थापित किया गया था, और मनुष्य का इस प्रकार आधुनिक सोच और व्यवहार वाला व्यक्ति बनने के लिए संस्कार प्रदान किये गये थे, और ऐसा इसलिए था कि जब मानव इतिहास इस अंतिम चरण में पहुंचे, तो मनुष्य फा पहचानने में सक्षम हो जाये। दूसरे शब्दों में, शाक्यमुनि के उद्भव और इतिहास में कुछ देवताओं के उद्भव द्वारा दिव्य रूप से प्रदान की गयी संस्कृतियों का उद्भव हुआ। और वास्तव में, यह स्वयं मनुष्यों के लिए सोचने का एक तरीका स्थापित करना था जो उन्हें दिव्य प्राणियों को समझने में सक्षम बनाता और एक ऐसी संस्कृति स्थापित करता जो दिव्य प्राणियों के विचार को समझने योग्य बनाती। यदि इतिहास ऐसा नहीं होता, जब मैं आज फा सिखाने आया तो मेरे लिए यह फा सिखाना बहुत कठिन होता, क्योंकि आप नहीं जानते होते कि देवता क्या है, बुद्ध क्या है, या ताओ क्या है। तब मैं इसे कैसे सिखाता? मुझे आपको सबकुछ समझाना पड़ता, जिसमें बुद्ध, ताओ और देवता कैसे होते हैं, उनकी विशेषताएँ क्या हैं, वे क्या करते हैं, वे लोगों को कैसे बचाते हैं, लोगों को बचाना क्या है, बचाये गये लोगों के साथ क्या होता है, इत्यादि। और यदि मैं आपको यह सब समझा भी देता, तो आपके पास आवश्यक वास्तविक जीवन के अनुभव और ज्ञान नहीं होते, न ही आपके मन में कोई चित्र होता, न ही आप चीजों को समझने की प्रक्रिया से गुजरते। उस स्थिति में मैं फा कैसे सिखाता? आप इसे कैसे समझ सकते थे? इसीलिए यह सब इतिहास के दौरान पूरा किया जाना था, और इस प्रकार आज लोग समझ सकते हैं कि देवता क्या है, फा क्या है, साधना क्या है, फलपदवी क्या है, इत्यादि।

तो फिर, साधना क्या है? केवल दाफा शिष्यों द्वारा आज की जा रही साधना ही सच्ची साधना है, क्योंकि यहाँ मनुष्य वास्तव में साधना करने में सक्षम हैं—कुछ ऐसा जो इतिहास में कभी नहीं हुआ। "सभी प्राणियों को बचाने" का क्या अर्थ है? यद्यपि देवताओं ने इस संस्कृति को मानव जाति के लिए छोड़ा, लेकिन उन्होंने वास्तव में ऐसा कुछ नहीं किया [जैसे सभी प्राणियों को बचाना]। हालाँकि, मैं ऐसा कर रहा हूँ, और अब यह आप भी हैं—दाफा शिष्य—जो सभी प्राणियों को बचा रहे हैं। और आप यह पूरी मानव जाति के लिए कर रहे हैं (तालियाँ), व्यापक प्रमाण पर लोगों को बचा रहे हैं। दूसरे शब्दों में, आज दाफा शिष्य जो कुछ भी कर रहे हैं—चाहे आप किसी परियोजना का भाग हों, या आप सड़कों पर उतरकर तथ्यों को स्पष्ट कर रहे हों, सामग्री बाँट रहे हों, या वाणिज्य दूतावासों और दूतावासों के सामने बैठकर दुष्टता को उजागर कर रहे हों—आप स्वयं की साधना कर रहे हैं, फा का मान्यकरण कर रहे हैं, और इस प्रक्रिया में संसार के लोगों को बचा रहे हैं। यही तो दाफा शिष्य कर रहे हैं। हालांकि ये सब साधारण लगते हैं, लेकिन ये सभी कार्य भव्य और उल्लेखनीय हैं, क्योंकि मानव जगत में सभी व्यवसाय और सभी परिवेश आपके साधना स्थल हैं। अतीत में की जाने वाली साधना में, साधना आरम्भ करने का अर्थ मठ या पहाड़ों पर जाना था। बहुत से लोग इस साधना पद्धति को नहीं समझते हैं जिसे मैंने दाफा शिष्यों के लिए निर्धारित किया है। वे सोचते हैं, "वे काम करते हुए साधना कैसे करते हैं? वे भिक्षु कैसे नहीं बने?" यह समझा जा सकता है। वास्तव में, एक बार शाक्यमुनि ने इस विषय पर बात की थी। उन्होंने कहा कि जब चक्र घुमाने वाले पवित्र सम्राट संसार में अवतरित होंगे, तो लोग सांसारिक जगत को छोड़े बिना तथागत बनने में सक्षम होंगे। तो कोई सांसारिक जगत को छोड़े बिना [साधना] कैसे कर सकता है? और वर्तमान के समाज में, कोई साधना कैसे कर सकता है?

मैंने अभी कहा, और मैंने पहले भी चर्चा की है, कि सभी व्यवसायों और सभी सामाजिक स्तरों में दाफा शिष्य हैं, और वे चेतन जीवों को बचा रहे हैं, फा का मान्यकरण कर रहे हैं, और सभी विभिन्न व्यवसायों में दाफा शिष्यों की भूमिका निभा रहे हैं। और वास्तव में, जब आप विभिन्न व्यवसायों में रहते हुए, वे सभी कार्य अच्छे से कर लेते हैं जो आपको करने चाहिए, तो आप वास्तव में साधना कर रहे होते हैं। मानव जगत में विभिन्न व्यवसाय सभी साधना स्थल हैं जो आपको प्रदान किये गये हैं। इस विषय पर मैंने पहले भी चर्चा की थी—कि तीनों लोकों में मानव जाति की हर चीज दाफा के लिए सृजित की गयी है, दाफा के लिए बनायी गयी है, और दाफा के लिए आयी है। कोई भी कुछ भी करते हुए या किसी भी व्यवसाय में काम करते हुए साधना कर सकता है। दूसरे शब्दों में, मानव समाज मेरे दाफा शिष्यों की साधना के लिए एक बड़ा अभ्यास स्थल है, और आप चाहे कहीं भी हों, साधना कर सकते हैं। यह केवल इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपनी साधना में परिश्रमी हैं या नहीं, और यह बात उन लोगों पर भी लागू होती है जो जासूसों के रूप में काम कर रहे हैं। (श्रोता हँसते हैं) आप सभी साधना कर सकते हैं और जीवों को बचा सकते हैं। प्रश्न केवल यह है कि आप अपनी सोच को कैसे संरेखित करते हैं और फा के प्रति आपका दृष्टिकोण किस प्रकार का है।

मैंने अभी जिन चीजों के बारे में बात की है, वे चीजें मैंने पहले भी अपनी फा शिक्षाओं में कही हैं; इस बार मैं केवल दूसरे दृष्टिकोण से उनके बारे में आपसे बात कर रहा हूँ। मैं अगले कुछ समय का उपयोग आपके कुछ प्रश्नों के उत्तर देने के लिए करना चाहूँगा। (तालियाँ) मैं आपसे बहुत दिनों के बाद मिला हूँ, और बहुत से लोगों के पास पूछने के लिए बहुत सारे प्रश्न हैं। लेकिन हमेशा ऐसे लोग होते हैं जो पहले परिश्रमी नहीं थे और अब परिश्रमी हो गये हैं। उन्हें नये सिरे से उस मार्ग पर चलना होगा जिस पर दूसरे पहले ही चल चुके हैं, और वे वही प्रश्न पूछेंगे जो दूसरे पहले पूछ चुके हैं। (श्रोता हँसते हैं) लोगों का एक भाग ऐसा भी है जो पुस्तकें अधिक नहीं पढ़ते। पुस्तकों में सभी उत्तर हैं, लेकिन ऐसे लोग पुस्तकें नहीं पढ़ते, और इसलिए जब वे मुझे देखते हैं तो वे फिर वही प्रश्न पूछना चाहते हैं [जिनका उत्तर पुस्तकों में है]। (श्रोता हँसते हैं) लेकिन फिर भी, चूँकि वे दाफा शिष्य बनने और दाफा में साधना करने में सफल रहे हैं, इसलिए उन्हें उत्कृष्ट माना जाना चाहिए। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो आगे बढ़ें और उन्हें पूछें। आखिरकार मैं आपका गुरु हूँ। जब शिष्यों के पास प्रश्न होते हैं, और विशेष रूप से साधना से संबंधित, तो यह इतना गंभीर मामला है कि मुझे उन प्रश्नों को संबोधित करना चाहिए और उनके बारे में आपसे बात करनी चाहिए। जब आप प्रश्न पूछें, तो आपको हमेशा की तरह पर्चियाँ जमा करके ऐसा करना चाहिए। और एक और बात है। आप तीन हजार से अधिक लोग यहां बैठे हैं, और इसमें अतिरिक्त कक्षों की गिनती नहीं है। यदि हर व्यक्ति की एक-एक प्रश्न-पर्ची होगी, तो हम उन सभी के बारे में बात नहीं कर पाएँगे। (गुरूजी हँसते हैं) तो जो लोग सम्मेलन की आयोजन समिति का भाग हैं, वे उन्हें छाँटेंगे और फिर चुने गये प्रश्नों को मुझे देंगे।

(गुरूजी बैठते हैं, शिष्य तालियाँ बजाते हैं)

शिष्य: वुहान और शेनझेन शहरों से दाफा शिष्य गुरूजी को अपना नमन भेज रहे हैं! (तालियाँ) और हम तीन चीजें अच्छी तरह से करने और अपनी यात्रा के अंतिम भाग को अच्छी तरह से पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

गुरूजी: मुझे आप पर विश्वास है। आप अवश्य करेंगे! धन्यवाद। (तालियाँ)

शिष्य: मैंने पाया है कि जो चीज मेरे सुधार में बाधा बन रही है, वह वास्तव में यह है कि मेरी सच्ची आस्था पर्याप्त रूप से ठोस नहीं है और सूक्ष्म स्तर पर ऐसे तत्व हैं जो विश्वास नहीं करते हैं, इसलिए यह मुझे वास्तव में दुखी करता है। मैं, आपका शिष्य, सचमुच गुरूजी के साथ अपने घर लौटने के लिए उत्सुक हूं।

गुरूजी: मैं इस प्रश्न पर्ची से देख सकता हूँ कि वास्तव में कमियों वाले तत्व हैं, लेकिन साथ ही आप वास्तव में अच्छी तरह साधना करना चाहते हैं। मुझे लगता है कि जब तक आप फा को और अधिक पढ़ेंगे, जो आपको परेशान कर रहा है उसे हल करने में सक्षम होंगे और निश्चित रूप से अच्छी तरह साधना करेंगे। कोई विशेष साधन नहीं है। यह देखते हुए कि संसार में जितने लोग हैं, गुरु व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक व्यक्ति को साधना करना नहीं सिखा सकते। इसीलिए मैंने हमेशा आपको फा को गुरु के रूप में मानने की शिक्षा दी है। मैंने कहा है कि गुरु ने सब कुछ फा में समेट दिया है, लेकिन आज तक आप में से बहुत से लोग उन शब्दों के महत्व को नहीं समझ पाये हैं। मैं भविष्य में आपसे इसके बारे में फिर से बात करूँगा। यदि आप वास्तव में फा का पालन करते हैं और साधना करते हैं, तो आप निश्चित रूप से साधना में सफल होंगे! इसलिए आपको पुस्तक को और अधिक पढ़ना चाहिए और फा का और अधिक अध्ययन करना चाहिए। (तालियाँ)

शिष्य: मैं शेनयांग शहर के शिष्यों की ओर से गुरूजी को नमन कर रहा हूँ! (गुरूजी: धन्यवाद!) (तालियाँ) जब हम अपने स्वयं के आयामी क्षेत्रों को शुद्ध करते हैं, तो क्या हमें हाथ के ऊपर हाथ रखने की स्थिति (जीयिन) या हथेली की सीधी स्थिति (लिझांग) का उपयोग करना चाहिए?

गुरूजी: जब हाथ जुड़े होते हैं, तो आपका शरीर और मन शुद्ध हो रहे होते हैं, और जब आपकी हथेली सीधी होती है, तो एक भेजने की क्रिया होती है। जब आप पवित्र विचार भेजते हैं तब यह सतही रूप पर केवल आपके विचारों को शक्तिशाली करने के लिए है और आपको उस एक कार्य को करने पर बेहतर ध्यान केंद्रित करने में सहायता करता है। वास्तव में, जब आपके पवित्र विचार शक्तिशाली होते हैं, तो आपके विचार ही पर्याप्त होंगे।

शिष्य: अनहुई प्रांत के बेंगबू, हेफेई और हुआइनान शहरों के सभी दाफा शिष्य अपने महान गुरूजी को नमन भेज रहे हैं! हमें आपकी बहुत याद आती है। हम करुणामय गुरूजी को व्यक्तिगत रूप से कब देख पाएंगे? चीन में अभी, सभी छह वर्षीय बच्चों को उनकी स्कूली शिक्षा आरम्भ होने के दो महीने बाद सामूहिक रूप से यंग पायनियर्स में सम्मिलित होने के लिए विवश किया जाता है। क्या इस परिस्थिति में दुष्ट पार्टी के विघटित होने पर बच्चों के प्राणों पर संकट आ सकता है?

गुरूजी: यह बच्चों पर लागू नहीं होता। जब उन्हें यंग पायनियर्स में सम्मिलित होने के लिए विवश किया जाता है तब यह बच्चों पर लागू नहीं होता। (तालियाँ) यह निश्चित रूप से उन बच्चों पर लागू नहीं होता जो छह वर्ष या उससे कम उम्र के हैं। (तालियाँ) दुष्ट सीसीपी केवल अपना कार्य कर रही है। (श्रोता हँसते हैं) चाहे वह एक के बाद एक जो भी प्रयत्न करे, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। (श्रोता हँसते हैं)

शिष्य: तुर्की के सभी दाफा शिष्यों ने गुरूजी को अपना नमन भेजा है! हम अपने करुणामयी और महान गुरूजी को उनकी उद्धारक कृपा के लिए धन्यवाद देते हैं!

गुरूजी: धन्यवाद! (तालियाँ)

शिष्य: नाइन कमेंटरीज के प्रसार और तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए दाफा शिष्यों के प्रयासों से मुख्य भूमि चीन की स्थिति में बहुत बड़ा बदलाव आया है। क्या हम गुरूजी से पूछ सकते हैं कि क्या हम चीन वापस जाने के लिए व्यापारिक यात्राओं जैसे कारणों का उपयोग कर सकते हैं?

गुरूजी: बेहतर होगा कि आप थोड़ी और प्रतीक्षा करें। (गुरूजी हंसते हैं) संपूर्ण फा-सुधार सतह की ओर उग्र गति से आगे बढ़ रहा है, और यह अब बहुत तीव्र है, इसलिए नष्ट किये जा रहे बुरे तत्वों की मात्रा काफी बड़ी है, और उन्हें फा-सुधार में बड़े प्रमाण में समाप्त और नष्ट किया जा रहा है। सतही आयाम में जहाँ फा-सुधार अभी तक नहीं पहुंचा है, जब दाफा शिष्यों के पवित्र विचार विशेष रूप से प्रबल होते हैं, तो वे भी बड़ी मात्रा में बुरे तत्वों को नष्ट कर देते हैं। मुख्य भूमि चीन सहित पूरे संसार में दाफा शिष्य दुष्ट पार्टी के तत्वों के साथ-साथ हस्तक्षेप करने वाले असुरों को भी तीव्रता से नष्ट कर रहे हैं। और ध्यान देने वाली बात यह है कि हाल ही में बड़ी संख्या में देवता सभी ओर से प्राचीन शक्तियों का पता लगा रहे हैं और उन्हें नष्ट कर रहे हैं। जैसे ही वे मिल जाती हैं, उन्हें नर्क में डाल दिया जाता है। और जब कोई नहीं मिलती है, तब भी देवता उन्हें पूर्ण रूप से नष्ट करने के इरादे से उन्हें चारों ओर खोजते हैं (तालियाँ), और इस प्रकार प्राचीन शक्तियों द्वारा व्यवस्थित कुछ कारकों को भी नष्ट किया जा रहा है। अभी एक और बात यह है कि धर्मों से जुड़े उन हस्तक्षेप करने वाले देवताओं का भी सफाया किया जा रहा है, जिनकी मैंने हाल ही में चर्चा की थी। इसलिए, पूर्ण स्थिति तीव्रता से बदल रही है। लेकिन जब तक दुष्ट प्राणियों का पूर्ण रूप से सफाया नहीं हो जाता, वे बुरे काम करते रहेंगे, और वे अपने प्रयासों को बुरे लोगों और चीजों पर केंद्रित करेंगे। इसलिए अभी के लिए, [वापस जाने के लिए] अधिक व्याकुल न हों।

शिष्य: फे तियान कला अकादमी के छात्र जो दौरे पर हैं, उन्हें फा-सुधार प्रक्रिया में क्या भूमिका निभानी है? क्या उन्हें अब भी हाई स्कूल और कॉलेज पूरा करने की आवश्यकता है?

गुरूजी: फे तियान कला अकादमी एक पेशेवर संस्थान है जिसे प्रथम श्रेणी की प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने के लिए बनाया गया है, और इसमें एक शैक्षणिक पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है। जब नियमित विषयों की बात आती है, तो छात्र अमेरिका में हाई स्कूल के छात्रों के लिए मानकीकृत परीक्षाओं में भाग लेते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे उन विषयों में पीछे न रहें। दाफा शिष्य अभी भी स्कूल पर काम कर रहे हैं, और चीजों को निरंतर बेहतर बनाया जा रहा है।

फे तियान कला अकादमी के छात्र फा का मान्यकरण करने में जो भूमिका निभा रहे हैं, वह किसी भी प्रकार निम्न नहीं है। तथ्यों को स्पष्ट करते समय एक साथ इतने सारे लोगों तक पहुँचना संभव नहीं है, और हालाँकि दाफा शिष्यों ने अपने सत्य-स्पष्टीकरण प्रयासों से बहुत लोगों को बचाया है, लेकिन उस प्रभाव को संसार के अरबों लोगों तक पहुँचाना कठिन है। आप सभी ने यह देखा है। जब आप किसी को तथ्य समझाते हैं, तो यह साधारणतः एक-एक करके, या एक बार में कुछ ही लोगों के साथ किया जाता है। लेकिन एक प्रदर्शन हजारों दर्शकों को आकर्षित करता है, या कम से कम एक बार में एक हजार। पिछले क्रिसमस से लेकर अब तक के प्रदर्शनों के परिणाम ध्यान देने योग्य हैं, जो उत्कृष्ट रहे हैं। अधिकांश रूप से दर्शकों में प्रत्येक व्यक्ति में पूर्ण परिवर्तन आ गया। पहले कुछ विशेष जासूसों को समस्याएँ उत्पन्न करने के लिए भेजा गया था, और उन्होंने धर्मों से जुड़े हस्तक्षेप करने वाले देवताओं के उकसावे पर कठिनाईयां उत्पन्न की। फिर निवारक उपाय किये गये, और उसके बाद उस प्रकार की कोई और समस्या नहीं हुई। थिएटर से बाहर निकलते समय, दर्शकों का दाफा शिष्यों के प्रति प्रारंभिक दृष्टिकोण मूल रूप से पूरी तरह बदल चुका था—फालुन गोंग के प्रति उनका दृष्टिकोण पूरी तरह बदल गया था। व्यक्ति के मन के उस बदलाव के साथ, उसका भाग्य—अर्थात, वह रहेगा या नहीं—निश्चित हो जाता है।

उच्च कक्षा के छात्र इस समय दौरे पर हैं, और जब दौरा समाप्त होगा, तो दो लाख से अधिक लोग इसे देख चुके होंगे। इसके बारे में सोचें: यह प्रयास कितना अच्छा रहा है? (तालियाँ) मुझे लगता है कि यह प्रयास सार्थक रहा है। (श्रोता हँसते हैं) इसलिए जब हमें एहसास हुआ कि केवल एक नृत्य कंपनी पर्याप्त नहीं है, तो हमने दूसरी और फिर तीसरी स्थापित की। आखिरकार, हम प्राणियों को बचा रहे हैं। ये युवा दाफा शिष्य न केवल प्राणियों को बचाने के लिए काम कर रहे हैं, बल्कि साधना के माध्यम से उत्थान भी कर रहे हैं। और वे स्वयं को स्थापित कर रहे हैं, क्योंकि वे जो कर रहे हैं वह स्वयं साधना है, और जिस पर वे चल रहे हैं वह देवत्व का मार्ग है।

शिष्य: अपने स्वार्थ और मोहभावों के कारण, ताइवान में कई स्वयंसेवक अभ्यासियों को फा का मान्यकरण करने के काम करने में मार्गदर्शन करते समय भटक गये हैं, और वे चीजें फा की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं थीं। अनेक चर्चाओं के बाद भी विचारों का आदान-प्रदान निष्फल सिद्ध हुआ। आपके शिष्य ने यह देखा है और वह बहुत चिंतित है। गुरूजी, मैं पूछना चाहता हूं कि एक नियमित अभ्यासी को इस परिस्थिति में अपनी भूमिका कैसे निभानी चाहिए, बिना कोई दुसरा समूह बनाये और अच्छा सहयोग करते हुए।

गुरूजी: मुझे लगता है कि [आपने जो वर्णन किया है] वह बहुत अधिक मानवीय सोच का परिणाम है, और जब लोग दाफा शिष्यों के कार्यों को मानवीय मानसिकता के साथ करते हैं तो चीजें इसी प्रकार होती हैं। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने मार्ग पर अच्छी तरह चलता है और साधना करते समय स्वयं अच्छी तरह साधना करता है, तो वह चीजों को अच्छी तरह करेगा। विभिन्न क्षेत्रों के स्वयंसेवक वास्तव में केवल ऐसे व्यक्ति हैं जो चीजों का संयोजन करते हैं, इसके अतिरिक्त कि जब फालुन दाफा एसोसिएशनों या गुरु के पास उनके लिए कुछ कार्य होता है, तो उनसे संपर्क किया जाता है, और अभ्यासियों को जानकारी और जो आवश्यक है उसे बताने के लिए कहा जाता है। उनमें से प्रत्येक को हर किसी की तरह स्वयं अच्छी तरह साधना करनी होगी। समस्याएँ आने पर स्वयंसेवकों के साथ-साथ सभी दाफा शिष्यों को अपने भीतर झाँकना चाहिए। जब हर कोई ऐसा करता है, तो चीजें निश्चित रूप से अच्छी तरह होती हैं। यह एक समस्या है यदि सभी की दृष्टि स्वयंसेवकों पर टिकी हो, और हर कोई उन्हें साधना करने में सहायता कर रहा हो, जबकि वे यह भूल जाते हैं कि वे स्वयं भी साधक हैं। जब ऐसा होगा तो अधिक से अधिक समस्याएँ उत्पन्न होंगी, क्योंकि आप बाहर झांक रहे हैं, बाहर की ओर देख रहे हैं।

लेकिन यदि स्वयंसेवक वास्तव में अच्छा काम नहीं कर रहे हैं, या उनकी योग्यताएँ कम हैं, तो निश्चित रूप से बदलाव पर विचार किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनका अच्छा प्रदर्शन न कर पाना, चाहे उस क्षेत्र में समग्र रूप से सुधार से जुड़े बड़े मुद्दे संबंधित हो, फिर भी दाफा शिष्यों के फा का मान्यकरण करने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न करेगा। लेकिन यदि हर एक दाफा शिष्य अपनी साधना और दाफा के प्रति उत्तरदायी होने में सफल हो जाये, तो मुझे लगता है कि इसका परिणाम यह होगा कि पूरे क्षेत्र में चीजें अतिउत्तम होंगी।

एक स्वयंसेवक से गलतियाँ होना स्वाभाविक है। आपने सुना कि मैंने अभी क्या कहा, है न? उससे गलतियाँ होना स्वाभाविक है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि वह ऐसा नहीं करेगा, तो वह एक देवता बन जायेगा और उसे अब साधना करने की आवश्यकता नहीं होगी। तो क्या गलती करने वाले सहायक के साथ उन लोगों की तुलना में अधिक कड़ाई से पेश आना चाहिए जो गलतियाँ करते हैं? साधना सबके लिये एक समान है और सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करती है। प्रभाव के संदर्भ में, निश्चित रूप से उसका उत्तरदायित्व अधिक है और उसके आचरण से अन्य अभ्यासियों पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है। इसलिए स्वाभाविक रूप से गुरु की उससे उच्चतर अपेक्षाएँ हैं। लेकिन वास्तव में, एक साधक के रूप में, उसके साथ भी वैसा ही व्यवहार किया जाता है। सामान्य परिस्थितियों में, किसी स्वयंसेवक को केवल इसलिए उसके कर्तव्यों से हटाया नहीं जा सकता क्योंकि उसने कोई गलती की है। तो ऐसा क्यों है? जैसे-जैसे दाफा शिष्य अपनी साधना करते हैं, स्वयंसेवक स्वयं स्थापित और संयमित होते जा रहे हैं, क्योंकि जिस प्रकार दाफा शिष्यों के स्वयंसेवक अपना काम करते हैं, वह साधारण समाज में नहीं पाया जाता है। यह अभूतपूर्व है। यदि गलती करने पर उसे हटा दिया जाता है, और फिर अगले व्यक्ति को [जिसे नियुक्त किया गया है शीघ्र ही] हटा दिया जाता है क्योंकि वह भी गलतियाँ करने वाला है, तो मैं ऐसा नहीं चाहता। मैं उसे संयमित करना चाहता हूँ और उसे परिपक्व बनाना चाहता हूँ। दूसरे शब्दों में, क्या यह उचित होगा यदि आप, एक दाफा शिष्य, कोई गलती करें और मैं आपको दाफा शिष्य न रहने दूँ और आपके स्थान पर किसी और को रख दूँ? (शिष्य हँसते हैं) लेकिन जब वह व्यक्ति गलती करे तो उसे दाफा शिष्य नहीं रहने दिया जाये और हम उसके पर स्थान किसी और को रख लें—क्या यह उचित होगा? जब आप साधना करते हैं तो समस्याएँ आना निश्चित है, और जब वे आती हैं, तो महत्वपूर्ण बात यह है कि हर कोई उसे सद्भावना के साथ सुधरने में सहायता करे, न कि उसे किसी प्रकार उत्तरदेह ठहराये या उसकी आलोचना करे। प्रत्येक साधक का दूसरों के प्रति दृष्टिकोण उसकी अपनी साधना का प्रतिबिंब है, और आप सभी को इन बातों पर स्पष्ट होना चाहिए।

जब किसी स्वयंसेवक में कुछ गड़बड़ होती है, तो उसके लिए उसे जो उत्तरदायित्व उठाना होता है, वह निश्चित रूप से अधिक होता है, और आप सभी यह जानते हैं। गुरु के पास अनगिनत फा शरीर हैं जो इन चीजों की देखभाल करते हैं, और वे निश्चित रूप से उसकी समस्याओं या सुधार के अवसरों को अनदेखा नहीं करेंगे। लेकिन यदि आपको उसकी समस्याओं से बहुत अधिक मोहभाव है, तो आपकी समस्याएं स्वयं ही इस मामले के माध्यम से उजागर हो जाएंगी, और आपको इस मामले के माध्यम से अपनी समस्याओं को देखना होगा; और हो सकता है कि आपका मोहभाव दूर न होने के परिणामस्वरूप उसकी समस्या का अभी समाधान न हो सके। और यदि और भी लोग इसमें जुट जाते हैं और इसमें सम्मिलित हो जाते हैं, तब भी—आपकी सभी समस्याएं इसके माध्यम से आपके सामने आ जाएंगी। ऐसी चीजें होंगी। ऐसा नहीं है कि समस्याओं का समाधान नहीं होना चाहिए, और ऐसा नहीं है कि गुरु के फा शरीर उनका समाधान नहीं करेंगे।

शिष्य: सीसीपी छोड़ने के लिए ग्लोबल सर्विस सेंटर को अक्सर मुख्य भूमि चीन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से टेलीफोन कॉल आते हैं, जो हमें गुरूजी को उनका नमन व्यक्त करने के लिए कहते हैं!

गुरूजी: तो मैं मुख्य भूमि चीन के लोगों और चेतन जीवों को धन्यवाद देता हूँ! (तालियाँ) एक बार जब संसार के लोग बुरे तत्वों के नियंत्रण से मुक्त हो जाएँगे, तो वे जागृत हो जाएँगे, और चीजों के बारे में सोचने के लिए अपने मन का उपयोग करेंगे। जब लोगों ने पहले दाफा के विरुद्ध अपने पक्ष की घोषणा की या बयान दिये थे उस दुष्टता के आक्रमण और दमन के दबाव में, जिसने आकाश को ग्रहण लगा दिया था और पृथ्वी को ढक लिया था, चाहे ऐसे कितने भी मामले क्यों न हों, वह व्यक्ति स्वयं नहीं था जिसने वास्तव में वे बातें कही थी। बल्कि, यह दुष्ट तत्व थे जो उन लोगों के मुख का उपयोग कर रहे थे। मेरी इस पर एक स्पष्ट सोच है! इसलिए मैं दुष्टता से कहता हूँ : फा-सुधार के दौरान, आपने जो काम किये और लोगों का दमन करने की आपकी इच्छा, उनका अवश्य ही निपटारा किया जायेगा।

शिष्य: प्रणाम, गुरूजी! मैं, आपका शिष्य, मीडिया के साथ एक पत्रकार के रूप में काम करता हूँ। मुझे अक्सर लगता है कि मेरी क्षमताएँ सीमित हैं और मैंने बहुत धीरे-धीरे ही सफलताएँ प्राप्त की हैं। मुझे समाचार लेख लिखने में आवश्यकता से कहीं अधिक समय लगता है। इसलिए मैं इस बारे में बहुत चिंतित हूँ, और मुझे लगता है कि इसका कारण मेरे शिनशिंग में धीमी गति से होने वाला सुधार है।

गुरूजी: यदि आप अपना फा अध्ययन जारी रखते हैं तो सफलता अवश्य मिलेगी। केवल फा का अच्छी तरह से अध्ययन करके ही आप फा का मान्यकरण कर सकते हैं, और केवल फा का अच्छी तरह अध्ययन करके ही आप बेहतर कर सकते हैं। कई अभ्यासियों ने पाया है कि वे उन चीजों के बारे में सोचने में सक्षम हैं जिन्हें वे पहले नहीं जानते थे, और फा अध्ययन के कारण वे अधिक रचनात्मक, व्यापक तरीके से सोच पाते हैं, और वे किसी भी काम को बड़ी कुशलता से करने में सक्षम होते हैं। जब आप फा का अच्छी तरह से अध्ययन करते हैं तो यही होता है। अब मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आपने अच्छी तरह से साधना नहीं की है। मैं फा सिद्धांत के बारे में बात कर रहा हूँ। पुस्तक को और अधिक पढ़ें, फा का और अधिक अध्ययन करें, और आपको निश्चित रूप से ज्ञान प्राप्त होगा।

शिष्य: तथ्यों को स्पष्ट करने के दौरान मेरा अक्सर इस प्रकार के व्यक्ति से सामना होता है : वह फालुन गोंग से तो जुड़ता है, लेकिन दाजीयुआन (एपोक टाइम्स) समाचार पत्र से नहीं। मेरा प्रश्न यह है कि क्या जिस प्रकार दाजीयुआन चलाया जाता है, उससे लोग फालुन गोंग को गलत समझ रहे हैं, या फिर इन मीडिया संस्थाओं में ही कुछ समस्याएँ हैं?

गुरूजी: मेरे विचार में, यह दोनों में से कोई भी नहीं। इस संसार में हर प्रकार के लोग हैं : एक को मसालेदार भोजन पसंद हो सकता है और दूसरे को खट्टा—विभिन्न प्रकार के स्वाद होते हैं। लोगों की अलग-अलग अनुचित समझ हैं, ये सभी अनुचित समझ दुष्ट सीसीपी द्वारा फैलाए गये निराधार झूठ के विष के कारण हैं। जहाँ भी किसी व्यक्ति की अनुचित समझ होती है, वहीं पर वह चीजों को कैसे देखता है, इस मामले में समस्याएँ पैदा होंगी, और यह अलग-अलग दृष्टिकोणों के रूप में प्रकट होता है। निःसंदेह, इसका अर्थ यह नहीं है कि यह मीडिया इकाई आदर्श रूप से चलाई गयी है। लेकिन, कम से कम, दाफा शिष्यों द्वारा चलाए जाने वाले मीडिया केंद्र साधारण लोगों के मीडिया केंद्रों से अधिक नैतिक हैं। आखिरकार, वे लोगों को बचा रहे हैं और उन्हें लाभ पहुँचा रहे हैं, और इस मामले में आम मीडिया केंद्रों का उनसे कोई मेल नहीं हैं। फिर ऐसा क्यों है कि अभी भी ऐसे लोग हैं जो इस प्रकार सोचते हैं और ऐसी बातें कहते हैं? यह इस तथ्य को दर्शाता है कि विभिन्न लोग विभिन्न क्षेत्रों में हैं और चीजों को लेकर उनके विभिन्न विचार हैं। जहाँ भी कोई व्यक्ति दुष्ट पार्टी द्वारा सबसे अधिक विषाक्त है, वहीं चीजें सामने आती हैं। इसलिए, मुझे लगता है कि यह सबसे अच्छा है कि आप उसे किसी भी मुद्दे पर तथ्यों को अच्छी प्रकार से स्पष्ट करें और चीजों को समझने में उसकी सहायता करें। ऐसा नहीं है कि दाजीयुआन में वास्तव में इतनी गंभीर समस्या है।

शिष्य: दुष्ट पार्टी के टीवी स्टेशन के कनाडा में आने से और न्यू तांग डायनेस्टी टीवी की स्थापना से, हम कैसे सफलता प्राप्त कर सकते हैं?

गुरूजी: यह दाफा शिष्यों पर निर्भर करता है कि इसे कैसे करना है। आपको एक बात याद रखनी चाहिए : आज, मानव जाति का मंच दाफा शिष्यों के प्रदर्शन के लिए है, और उन दुष्टों के लिए बिल्कुल नहीं! (तालियाँ) जब तक आप अच्छा करते हैं और हर कोई अच्छी समझ विकसित कर सकता है, एक-दूसरे के साथ सहयोग और समन्वय कर सकता है, और शक्तिशाली पवित्र विचार रख सकता है, तब ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे पूरा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि आपके आरंभिक बिंदु तक कोई नहीं पहुँच सकता—यह सभी प्राणियों को बचाने के लिए है! त्रिलोक का निर्माण वर्तमान के मुद्दों के उद्देश्य से किया गया था, न कि साधारण लोगों का मन बहलाने के लिए, और निश्चित ही साधारण लोगों के मनोरंजन के लिए नहीं। मनुष्यों के वास्तव में अपने मनोरंजन होते हैं, लेकिन यह मानव जीवन का एक भाग है, और यह एक ऐसी स्थिति है जिसे मनुष्य फा की प्रतीक्षा करते समय बनाये रखते हैं।

शिष्य: ऐसा क्यों है कि मैं, आपका शिष्य, चाहे कितना भी प्रयास कर लूं, मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि मैं फा-सुधार की प्रगति के साथ नहीं चल सकता?

गुरूजी: मुझे लगता है कि आपकी अंतर्दृष्टि काफी अच्छी है। यदि आपको हमेशा ऐसा लगता है कि आपमें कमियाँ हैं, तो निरंतर इस पर ध्यान देने का प्रयास करें और फा का अधिक अध्ययन करके और दाफा शिष्यों से जो अपेक्षा की जाती है, उससे अधिक करके अपनी कमियों को दूर करें। आपको बस इतना ही करना है।

शिष्य: हम चीनी भाषा की पाठ्यपुस्तकों का संकलन करने वाला एक समूह हैं। हम गुरूजी से पूछना चाहेंगे : फा-सुधार प्रक्रिया आज जहां पर है, उसे देखते हुए हमें पाठ्यपुस्तकें बनाने पर कितना ध्यान देना चाहिए? क्या हमें पाठ्यपुस्तकें बनाने पर अधिक समय लगाना चाहिए या अन्य परियोजनाओं पर?

गुरूजी: मेरा मानना है कि चाहे आप चीनी पाठ्यपुस्तकें बना रहे हों या कुछ और कर रहे हों, आपको उन्हें व्यवस्थित तरीके से करने के बारे में सोचना चाहिए, और देखना चाहिए कि क्या दाफा शिष्यों द्वारा संचालित स्कूल आपकी पाठ्यपुस्तकों का उपयोग करेंगे। यदि नहीं, तो जब आपने उन्हें तैयार कर लिया और किसी ने उनका उपयोग नहीं किया, तो क्या आपने अपना समय व्यर्थ नहीं किया होगा? इसलिए इसे व्यवस्थित तरीके से किया जाना चाहिए। यदि दाफा शिष्यों द्वारा संचालित स्कूलों को वास्तव में उनकी आवश्यकता है, तो इसे करें, और इसे अच्छी प्रकार करें। एक बार ऐसा कुछ आरम्भ हो जाने पर यह कोई छोटा उपक्रम नहीं रह जाता है, और न ही साधारण। [आपका काम] मानव जाति के लिए रहने दिया जायेगा। यदि यह केवल इतना है कि आप स्वयं उन्हें बनाना चाहते हैं, तो क्या होगा यदि, उन्हें पूरा करने पर, उनमें त्रुटियाँ पायी जाती हैं या वे अपर्याप्त हैं, और उनका उपयोग नहीं किया जा सकता है—तो क्या आपने अन्य चीजों में देरी नहीं की होगी? इसलिए आपको अच्छी तरह से व्यवस्थित करने की आवश्यकता है।

शिष्य: सबसे पहले, मैं यूनाइटेड किंगडम के सभी शिष्यों की ओर से गुरूजी का नमन करना चाहता हूँ! हमने एन टी डी टी वी के चीनी नववर्ष के भव्य कार्यक्रम के वैश्विक दौरे की तैयारी ठीक से नहीं की। यह भव्य कार्यक्रम यू.के. में नहीं हो पाया, क्योंकि आयोजन स्थल की खोज करते समय कई चुनौतियाँ सामने आयीं। क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि यू.के. में शिष्यों के साथ कुछ समस्याएँ हैं?

गुरूजी: मुझे लगता है कि यदि कोई स्थल भी नहीं मिल सका, तो यह वास्तव में एक समस्या है। (शिष्य हंसते हैं) ऐसा कैसे हो सकता है? क्या ऐसा इसलिए था क्योंकि आपने इसे पर्याप्त रूप से महत्वपूर्ण नहीं माना, और अच्छा सहयोग नहीं किया? हर वर्ष दाफा के शिष्य चीनी नववर्ष पर एक कार्यक्रम आयोजित करते हैं और समय के साथ यह दूसरे क्षेत्रों में भी फैल गया, यहाँ तक कि दूसरे देशों ने भी अपने कार्यक्रम आयोजित किये। हम ऐसा क्यों कर रहे हैं? साधारण लोगों का मनोरंजन करने के लिए? बिल्कुल नहीं। इस बारे में सभी स्पष्ट हैं। हम यह करना चाहते हैं कि, इस माध्यम से, दाफा शिष्यों के आचरण को प्रदर्शित किया जाये, दुष्ट पार्टी द्वारा लोगों में फैलाये गये झूठ और निंदा को दूर किया जाये और साथ ही सभी प्राणियों को बचाया जाये और तथ्यों को स्पष्ट किया जाये। आज, यदि संसार में कहीं भी, मध्यम और उच्च वर्ग के लोग हैं जो कहते हैं कि वे फालुन गोंग के बारे में नहीं जानते, तो मैं कहूँगा कि वे अज्ञानता का दिखावा कर रहे हैं। और विशेष रूप से यदि यह किसी सरकारी एजेंसी का कोई व्यक्ति है जो दावा करता है कि उसे नहीं पता कि फालुन गोंग क्या है, तो वह जानबूझकर मूर्खता दर्शा रहा है—सचमुच वह ऐसा कर रहा है। दूसरे शब्दों में, मूल रूप से हर कोई जानता है कि फालुन गोंग क्या है, और वे सभी जानते हैं कि सीसीपी फालुन गोंग का दमन कर रही है, और फालुन गोंग एक अच्छा, दयालु लोगों का समूह है जो सत्य, करुणा, सहनशीलता के अनुसार साधना करते हैं। वे इस बारे में बहुत स्पष्ट हैं।

इसलिए मुझे लगता है कि चूंकि समस्या उत्पन्न हुई है, इसलिए तथ्यों को स्पष्ट करने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि तथ्यों को स्पष्ट करके इसका समाधान किया जाना चाहिए, और साथ ही, हमें यह भी पता लगाना चाहिए कि हमें क्या रोक रहा है। सबसे बड़ी समस्या वास्तव में यह है कि अभ्यासियों ने एक-दूसरे के साथ अच्छा सहयोग नहीं किया है। निःसंदेह, ऐसे क्षेत्र हैं जहां अभ्यासी अंतहीन तर्क-वितर्क में उलझे हुए थे—एक इस थिएटर को किराए पर लेना चाहता था और दूसरा कोई अन्य चाहता था—और वे भूल गये कि उन्हें फा का मान्यकरण करना था, स्वयं का नहीं।

पिछले वर्षों में यह सब आप दाफा शिष्यों द्वारा किया गया था। हालाँकि, हर वर्ष इसे देखने के बाद, मुझे एक साथ प्रसन्नता और असंतुष्टि दोनों का एहसास हुआ। दाफा शिष्यों ने प्रत्येक वर्ष के चीनी नववर्ष कार्यक्रम पर बहुत सारे वित्तीय, भौतिक और मानव संसाधन खर्च किये, और इसमें सम्मिलित लोग साधारणतः विभिन्न परियोजनाओं के मुख्य सदस्य थे। इसलिए यदि हम अपने वांछित परिणाम प्राप्त नहीं करते हैं, तो यह वास्तव में पूर्ण रूप से घाटा होगा, और यह व्यर्थ होगा। कार्यक्रम के दौरान भी मैंने व्यंग्यात्मक टिप्पणियाँ सुनीं, और थिएटर जाने वाले लोग कार्यक्रम से बाहर निकलते समय तरह-तरह की बातें कहते रहे—जिससे पता चलता था कि वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हुआ। निःसंदेह, दाफा शिष्य फा का मान्यकरण कर रहे हैं, और जैसे-जैसे वे तथ्यों को स्पष्ट करते हैं, हो सकता है कि वे हमेशा अपनी बात रखने में सफल न हों। बाद में मैंने इस पर कुछ देर सोचा, विचार किया : "क्या हमें कार्यक्रम जारी रखना चाहिए? यदि परिणाम वही रहे, तो यह जारी नहीं रह सकता। दाफा शिष्य यह सब साधारण लोगों का मनोरंजन करने के लिए नहीं कर रहे हैं। यदि यह हमारे इतने सारे मानवीय, भौतिक और वित्तीय संसाधनों को खर्च करने के बाद भी लोगों को बचा नहीं सकता है—और यह कई क्षेत्रों में हो रहा है—तो यह जारी नहीं रह सकता।" बाद में, जब मैंने इस पर ध्यान से विचार किया, तो मैंने देखा कि हमारे दाफा शिष्यों में वास्तव में इस क्षेत्र में प्रतिभा वाले कुछ लोग थे, और जो हमेशा इस क्षमता के द्वारा फा का मान्यकरण करना चाहते थे। उन सभी की एक जैसी इच्छा थी। निःसंदेह, मैं इसके बारे में सतही स्तर पर बात कर रहा हूँ। इसलिए मैंने सोचा : "क्योंकि ऐसी परिस्थिति है, इसलिए मैं अब से इसका नेतृत्व करूंगा।" (तालियाँ) या कम से कम, मैं उनका तब तक नेतृत्व करूँगा जब तक वे परिपक्व नहीं हो जाते; मैं कुछ वर्षों तक उनका नेतृत्व करूंगा, जिसके बाद वे समझ जाएंगे कि काम कैसे करना है।

निःसंदेह, बोलना सरल होता हैं, और एक बार जब मैं इसमें सम्मिलित हो गया तो इसकी प्रकृति ही बदल गयी। आप सभी जानते हैं कि दाफा शिष्यों को फा का मान्यकरण करना होता है, तो फिर गुरु क्या कर रहे हैं? गुरु फा-सुधार करने आये थे। इसीलिए जब मैंने ऐसा करने का निर्णय किया, तो सब कुछ बदल गया—हमारे सामने उपस्थित दर्शक, वे लोग जिन्हें मैं बचाना चाहता था, और वह कार्य ही जो पूरा किया जाना था। यदि इसे अच्छी तरह किया जाये तो, तो इसे सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने होंगे और वास्तव में लोगों को बचाना होगा। तभी मैं इसे कर सकता था, और इसे सफल होना ही था। इसलिए मैं पहले की तरह काम नहीं कर सकता था। पहले, दाफा शिष्य अंशकालिक रूप से कार्यक्रम चला रहे थे, और अब, यदि इसे करना था, तो इसे उच्च स्तर का होना चाहिए। निःसंदेह, कुछ लोगों ने कहा, "गुरूजी जो भी करते हैं, वह निश्चित रूप से सबसे अच्छा होता है।" सच! यदि यह सबसे अच्छा नहीं होता, तो मैं इसे नहीं करता। (तालियाँ) इसलिए, मैंने लोगों से भर्ती करने और नृत्य विद्यालय स्थापित करने के लिए कहा, प्रतिभाशाली लोगों का चयन किया, और एक ऑर्केस्ट्रा बनाया। इस पूरे घटनाक्रम के लिए मूल बातों से लेकर प्रशिक्षण और विकास की आवश्यकता थी, और यह सब वास्तव में शीर्ष स्तर के प्रदर्शन की ओर ले जाना था। गुरु इनमें से कई चीजों में सम्मिलित रहे हैं, जिसमें इसके रचनात्मक घटक और पूर्वाभ्यास सम्मिलित हैं। आप सभी ने इसके बारे में सुना होगा।

जो भी हो, बच्चों ने अपनी प्रस्तुतियों में बढ़िया प्रदर्शन किया। उन्होंने वास्तव में बहुत बढ़िया काम किया। किसी प्रदर्शन कला कार्यक्रम में दर्शकों के आंसू बहते देखना दुर्लभ है। शेन युन परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा प्रस्तुत प्रत्येक प्रदर्शन में, कई दर्शक थे जिनके पूरे समय आंसू बहते रहे, और कई अन्य को निरंतर अपनी आंखों से आंसू पोंछने पड़े। हर प्रदर्शन ऐसा ही था। लोग अत्याधिक प्रभावित और द्रवित हो गये थे। इस आयाम में युवा लोग प्रदर्शन कर रहे थे, जबकि अन्य आयामों में, मेरे कई फा शरीर और कई दिव्य प्राणी ऐसा कर रहे थे। (तालियाँ) लोगों पर प्रभाव की शक्ति, साथ ही इससे उनमें होने वाले परिवर्तन, बहुत हद तक उसी प्रकार के थे जैसे तब हुए थे जब मैंने व्यक्तिगत रूप से शुरुआती दिनों में फा सिखाया था। (तालियाँ) इसलिए इसने लोगों में अत्याधिक परिवर्तन लाये हैं।

आखिरकार यह प्रदर्शन कला है, इसलिए जितना उच्च स्तर होगा, उतने ही अधिक लोग इसके प्रति ग्रहणशील होंगे और लोगों में उतने ही अधिक परिवर्तन होंगे। इसलिए वे प्रदर्शन परिपूर्ण होने चाहिये। उन्हें हर ओर से परिपूर्ण होना चाहिए—जिस क्षण पर्दा उठता है, एक अत्यंत सुंदर दृश्य आंखों के सामने आना चाहिए। नृत्यकला, वेशभूषा और नाटकीय प्रभाव सभी को सुंदर होना आवश्यक है। आज के समाज में लोग अब इसे नहीं समझते हैं। समाज के चलन के साथ-साथ लोगों का सौंदर्य बोध भी बदल जाता है। एक दिन कुछ ऐसा फैशन में होता है, इसलिए उसे अच्छा कहा जाता है; फिर अगले दिन कुछ और फैशन में होता है, इसलिए कुछ और अच्छा कहा जाता है। केवल दाफा के सिद्धांत अपरिवर्तनीय और अपरिवर्तनशील हैं, और केवल हम ही हैं जो जानते हैं कि वास्तविक सुंदरता क्या है। चूँकि दाफा शिष्य सत्य, करुणा, सहनशीलता की साधना करते हैं, इसलिए हम यह जानने में सक्षम हैं कि वास्तव में क्या अच्छा है—कुछ ऐसा जो कभी नहीं बदलता—और इसलिए लोगों के अच्छे और अद्भुत पक्ष के साथ मेल खाता है। यह कुछ ऐसा है जो साधारण लोग अब नहीं कर सकते। इसके अतिरिक्त, हमारे गायकों के गीतों, ऑर्केस्ट्रा के संगीत और नर्तकों व नर्तकियों की गतिक्रियाओं के साथ प्रदर्शन में उत्सर्जित की गयी शक्ति पवित्र और परोपकारी, करुणामयी और अत्यंत शक्तिशाली है। वास्तव में, दर्शकों में से कई सदस्यों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उस क्षेत्र में हल हो गईं। जिन्होंने कार्यक्रम देखा, वे अभी तक यह नहीं जानते हैं, लेकिन वे धीरे-धीरे समझ जाएँगे। कार्यक्रम समाप्त होते-होते, उनका मन शुद्ध हो चुका था और उनका स्वास्थ्य ठीक हो गया था। (तालियाँ) इसलिए मुझे लगता है कि हमने जो किया उसके उत्कृष्ट परिणाम थे। और निश्चित रूप से, अधिकांश कलाकार युवा दाफा शिष्य हैं, इसलिए यह दाफा शिष्यों के संसाधन खर्च नहीं करता है।

शिष्य: प्रथम एनटीडी अंतर्राष्ट्रीय शास्त्रीय चीनी नृत्य प्रतियोगिता का उद्देश्य क्या है?

गुरूजी: मैं अभी से इसे पूर्ण रूप से समझाना नहीं चाहता, क्योंकि इस प्रकार हमारे लिए बाद में बात करने के लिए कुछ अच्छा रह जायेगा। (शिष्य हँसते हैं) लेकिन मैं इसके बारे में आपसे सतही तौर पर बात कर सकता हूँ। दाफा शिष्य जो कुछ भी करते हैं उससे दुष्ट सीसीपी डरती है। दाफा शिष्यों द्वारा किये गये प्रदर्शन शुद्ध, पवित्र चीनी संस्कृति, प्राचीन संस्कृति और देवताओं द्वारा प्रदान की गयी सच्ची संस्कृति के हैं। और यह निश्चित रूप से दुष्ट सीसीपी की संस्कृति को नष्ट कर देता है, इसलिए स्वाभाविक रूप से, वह डरती है। चाहे दुष्ट पार्टी अपने सभी षड्यंत्रों को जैसे भी पूरा करती है, यह एक नीच सरकार है जिसने केवल चीन की भूमि को अधिकृत किया हुआ है, और इसलिए वह जो कुछ भी करती है वह चीन की सीमाओं के भीतर तक ही सीमित है। इसके विपरीत, जब न्यू तांग डायनेस्टी ऐसी कुछ [प्रतियोगिता] करती है, तो यह वैश्विक स्तर पर होता है—जो भी हो, यह एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता और एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन है। (गुरूजी हँसते हैं) (श्रोता हँसते हैं, तालियाँ बजाते हैं) विजेता एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतेंगे।

शिष्य: क्या आप कृपया इस बारे में बात करेंगे कि क्या मिंगहुई स्कूल के लिए सरलीकृत चीनी अक्षरों का उपयोग करना ठीक है?

गुरूजी: वही करें जो सबसे उपयुक्त है। आप केवल मानव जाति की वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर ही कुछ कर सकते हैं। ताइवान में मिंगहुई स्कूल पारंपरिक अक्षरों का उपयोग करते हैं, और मुख्य भूमि चीनी विद्यालय सरलीकृत अक्षरों का उपयोग करते हैं। मैं इनमें से किसी के भी विरुद्ध नहीं हूँ। मुद्दा यह नहीं है कि अक्षरों को किस प्रकार लिखा जाना चाहिए। मुख्य बात यह है कि पार्टी की संस्कृति को कैसे हटाया जाये और चेतन जीवों को कैसे बचाया जाये। यही सबसे अधिक महत्त्व रखता है। इन छोटी चीजों पर ध्यान न दें।

शिष्य: कुछ शिष्य जो दूर के क्षेत्रों में रहते हैं, वे हाल ही में आयोजित फा-सुधार परियोजना में भाग नहीं ले पाये, जिसमें गुरूजी ने उत्तरी अमेरिकी शिष्यों का नये वर्ष के भव्य कार्यक्रम के आयोजन का नेतृत्व किया था। उन्हें लगता है कि वे पीछे रह गये हैं।

गुरूजी: नहीं, ऐसा नहीं है। मैंने आप सभी को आकर भाग लेने के लिए नहीं कहा था। यहाँ तक कि जब मैंने भव्य कार्यक्रम के लिए टिकट बेचने पर टिप्पणी की, तो वह इसलिए था क्योंकि छात्र चिंतित थे और उन्होंने मुझसे कुछ शब्द कहने के लिए कहा था; मैंने आप सभी को आकर भाग लेने के लिए नहीं कहा था। मैंने बस इतना कहा कि आप में से जो लोग अनुकूल परिस्थितियों में हैं, वे सहायता के लिए आ सकते हैं। यदि आपकी परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं हैं, तो आपको नहीं आना चाहिए। यदि आप कहते हैं, "मैं यहाँ बहुत व्यस्त हूँ और फा का मान्यकरण करने वाली परियोजनाओं को नहीं छोड़ सकता," तो न आएं।

शिष्य: (गुरूजी: मैं नाम नहीं पढूंगा)। झेजियांग प्रांत के दाफा शिष्यों की ओर से गुरूजी को नमन! (गुरूजी: धन्यवाद!) (तालियाँ) क्या देशी और विदेशी शिष्यों के लिए आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न हैं? या यह इसलिए है कि कर्म की मात्राएँ भिन्न-भिन्न हैं? या यह भिन्न-भिन्न प्रकार के ज्ञान और कुछ पूर्वनिर्धारित संबंधों के कारण है?

गुरूजी: यह भिन्न-भिन्न कर्म या भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं के विषय में नहीं है, और यह निश्चित रूप से भिन्न-भिन्न पूर्वनिर्धारित संबंधों के बारे में नहीं है। इसका संबंध आपके द्वारा आरंभ में ली गयी विभिन्न प्रतिज्ञाओं से है। दाफा शिष्य एक अंग हैं, और आप जहां भी हैं, यह ऐसा ही है—फा-सुधार की प्रगति साथ-साथ होती है। (तालियाँ) यदि चीन के बाहर दाफा शिष्यों द्वारा दमन का विरोध करने के प्रयास नहीं किये गये होते, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दुष्टता को शक्तिशाली रूप से उजागर किया है, तो दुष्टता ने चीन में दाफा शिष्यों को और भी अधिक गंभीर रूप से एवं और भी निरंकुश होकर दमन किया होता। इन सब के कारण बड़े बदलाव हुए हैं, और ये चीजें चीन के बाहर के दाफा शिष्यों द्वारा किये गये कार्यों से जुडी हुई हैं। तो इस प्रश्न पर [जो आपने उठाया], एकमात्र अंतर इस संदर्भ में है कि आप क्या करते हैं। आपके सामने आने वाली समस्याएँ समान हैं। साधना क्षेत्रों या स्तरों के संदर्भ में बिल्कुल भी कोई अंतर नहीं है।

शिष्य: रूस के सभी शिष्य गुरूजी को अपना नमन भेज रहे हैं। कुछ रूसी शिष्यों को तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए बंदी बनाया गया या हिरासत में लिया गया। क्या हम पूछ सकते हैं कि रूसी शिष्यों को इस प्रकार की परिस्थिति और वातावरण को कैसे बदलना चाहिए?

गुरूजी: साधारणतः जहाँ भी कोई समस्या होती है, वहाँ दाफा शिष्यों को तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए जाना चाहिए, और ऐसा दृढ़तापूर्वक करना चाहिए। हमारे चीनी शिष्यों की यह धारणा है कि पश्चिमी समाज में सब कुछ व्यवस्थित और संगठित तरीके से होता है। कुछ चीजों के लिए, मिलने के लिए पहले से समय लेना पड़ता है, और काम पूरा होने के लिए लम्बी प्रतीक्षा करनी पड़ती है। लेकिन दमन के साथ जो हो रहा है वह अति आवश्यक है, और चूंकि हम दमन का विरोध करते हैं, इसलिए काम को इतनी धीमी गति से, बिना शीघ्रता के करने का समय नहीं है। शिष्यों ने अनुभव किया है कि यह काम नहीं करेगा। इसलिए हमारे बहुत से चीनी शिष्यों ने अपना अलग तरीका अपनाया है, व्यक्तिगत रूप से मिलना, चीजों को दृढ़तापूर्वक करना, तथ्यों को पूर्ण रूप से स्पष्ट करने और काम पूरा करने का दृढ़ संकल्प करना। निःसंदेह, कुछ पश्चिमी शिष्यों को ऐसा करना कठिन लगता है, क्योंकि वे चीजों को उस [दूसरे] तरीके से करने के आदी हैं। लेकिन यह काम नहीं करेगा—यह वास्तव में काम नहीं करेगा। आप प्रतीक्षा नहीं कर सकते। चेतन जीवों का दमन किया जा रहा है, और नैतिकता का तेजी से पतन हो रहा है। जिन लोगों को आपको बचाना है उनकी संख्या निरंतर कम होती जा रही है, और यह और भी कठिन होता जा रहा है। इसलिए हम प्रतीक्षा नहीं कर सकते।

शिष्य: भविष्य में दी जाने वाली चीनी शिक्षण सामग्री में सरलीकृत अक्षरों का उपयोग क्यों किया जाता है? क्या सरलीकृत अक्षर सीसीपी का उत्पाद नहीं हैं?

गुरूजी: वास्तव में, दुष्ट सीसीपी के समाज में ही सरलीकृत अक्षर बनाए गये थे। यह ऐसा ही है। लेकिन, आज चीन में एक अरब से अधिक लोग सरलीकृत अक्षरों का उपयोग करते हैं। यदि हम पारंपरिक अक्षरों का उपयोग करके तथ्यों को स्पष्ट करते हैं और वे उन्हें पढ़ नहीं पाते, तो यह काम नहीं करेगा। यह ऐसी चीज नहीं है जिसे रातों-रात बदला जा सकता है। जब आप तथ्यों को स्पष्ट करते हैं तो वही करें जो सबसे अधिक उपयुक्त हो। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि लोग अब किस लिपि का उपयोग करते हैं। जब तक हम इससे लोगों को बचा सकते हैं, तब तक यह कोई समस्या नहीं है। लोगों को बचाना सर्वोच्च प्राथमिकता है! (तालियाँ)

शिष्य: गुरूजी ने कहा है कि दाफा शिष्यों ने पुराने ब्रह्मांड और पुराने फा सिद्धांतों से उभरकर नया जीवन प्राप्त किया है। क्या हम इसे ऐसा समझ सकते हैं कि दाफा ने सभी प्राणियों को स्वयं को नवीनीकृत करने का एक अवसर दिया है, एक ऐसा अवसर जो अद्वितीय और अनूठा है?

गुरूजी: ब्रह्मांड अब अच्छा नहीं रहा, और यही बात चेतन जीवों के लिए भी सच है। यदि उनका नवीनीकरण नहीं किया गया, तो ब्रह्मांड का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। यही स्थिति है। और यह केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं है : मैंने जो कहा वह दिव्य प्राणियों पर भी लागू होता है, और दिव्यलोकों, सभी प्राणियों पर—यह सभी जीवों के लिए लागू होता है। फा का सुधार ब्रह्मांड में किया जा रहा है, न कि केवल मानव जगत में। लेकिन वास्तव में, मानव जगत का वास्तविक फा-सुधार अभी तक आरम्भ नहीं हुआ है।

शिष्य: कृपया हमें बताएं : कॉलेज की स्थापना और फा-सुधार के बीच क्या संबंध है?

गुरूजी: यदि दाफा शिष्य कॉलेज स्थापित करना चाहते हैं, तो ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है, जब तक की आप इसका उपयोग फा का मान्यकरण करने, तथ्यों को स्पष्ट करने और चेतन जीवों को बचाने के लिए कर सकें। मुद्दा यह है कि यह देखना है कि क्या इस उपक्रम का चेतन जीवों के उद्धार से कोई संबंध है। और यदि इसका कोई संबंध नहीं है, तो ऐसा करने का कोई अर्थ नहीं है।

शिष्य: मैं अपने साथी अभ्यासियों के काम करने के तरीकों में पार्टी की संस्कृति के कई तत्व देखता हूं, लेकिन मुझे नहीं पता कि मैं उन्हें यह कैसे बताऊं।

गुरूजी: मुख्य भूमि चीन से आने वाले लोगों के सोचने के तरीके और वाक्य स्वरूप, भिन्न-भिन्न स्तरों पर, मुख्य भूमि चीनियों के लिए दुष्ट सीसीपी द्वारा बनायी गयी बुरी सामाजिक प्रथाओं से बने हैं। जैसे-जैसे आप साधना करेंगे, आप धीरे-धीरे इन चीजों को पहचानेंगे। जब मुख्य भूमि चीन के लोग एक सामान्य समाज में रहते हैं, तो समय के साथ उनकी बुरी प्रथाएँ और आदतें बदल जाती हैं। हालाँकि, वे चीजें साधना को प्रभावित नहीं करती हैं, और वे इसे बाधित नहीं कर सकती हैं, इसलिए यह कोई समस्या नहीं है। जब मैंने शुरुआती दिनों में चीन में फा प्रदान किया था, तो कई लोगों की मनःस्थिति वैसी ही थी, और फिर भी वे फा को समझ सकते थे और साधना कर सकते थे। उसे रोका नहीं जा सकता। पार्टी की दुष्ट संस्कृति को प्रकाश में लाना इसकी दुष्ट प्रकृति को उजागर करना और लोगों को यह दिखाना है कि यह क्या है, यह कैसे चीनी लोगों को विषाक्त कर रही है, यह कैसे मानव जाति की अंतरात्मा की भावना को नष्ट कर रही है, और यह कैसे प्राचीन चीनी संस्कृति को बर्बाद कर रही है। दुष्टता का अंतिम उद्देश्य मानव जाति को नष्ट करना है।

शिष्य: क्या पारंपरिक और सरलीकृत अक्षरों की दाफा पुस्तकें अन्य आयामों में एक जैसी हैं?

गुरूजी: दूसरे आयामों में वे पारंपरिक या सरलीकृत अक्षरों में नहीं हैं। (श्रोता हँसते हैं) वे दूसरे आयामों की लिपियों में हैं। (श्रोता हँसते हैं) दिव्यलोकों में, दिव्यलोकों की अपनी लिपियाँ होती है।

शिष्य: जब मैं अपनी आँखों के सामने एक चमकदार सुनहरा बिंदु घूमता हुआ देखूँ, तो क्या मैं “ मि या”1 बोल सकता हूँ?

गुरूजी: मैं इसे इस प्रकार कहूँगा : यदि आपको लगता है कि यह अच्छी चीज नहीं है, तो आप इसे पवित्र विचारों से निपट सकते हैं। लेकिन यदि यह अच्छी चीज है, तो आपके पवित्र विचारों का इस पर कोई प्रभाव नहीं होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपके [विचार] पवित्र हैं, और यदि वह चीज भी पवित्र है, तो उस पर कोई प्रभाव नहीं होगा।

शिष्य: भविष्य में केवल दाफा और चीनी भाषा ही होगी, तो क्या यह ठीक है कि चीन के बाहर जन्मे बच्चे स्कूल न जाएं और केवल दाफा और चीनी भाषा ही सीखें?

गुरूजी: मैंने आपको ऐसा करने के लिए नहीं कहा है। जब भविष्य में, फा मानव संसार का सुधार करेगा, तो उस समय जो भी परिस्थितियाँ होंगी, वह एक ऐसी स्थिति होगी जिसकी ओर शेष मनुष्यों को बढ़ना होगा। यदि आप कहते हो, "मैं अभी से ही वे काम करना चाहता हूँ जो भविष्य के लिए हैं," तो आप उन्हें नहीं कर सकते। आपको वर्तमान के कर्तव्यों से जुड़ी चीजों को अच्छी तरह करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो है प्राणियों को बचाना। भविष्य की चीजें दाफा शिष्यों के लिए नहीं हैं, क्योंकि उस समय केवल गुरु ही चीजों को संभालेंगे।

शिष्य: हमने कई बड़े शहरों में पर्यटक आकर्षण स्थलों पर अपनी गतिविधियाँ जारी नहीं रखी हैं, क्योंकि अधिकांश अभ्यासी चीनी नव वर्ष के भव्य कार्यक्रम, डिवाइन लैंड मार्चिंग बैंड और अन्य परियोजनाओं में सम्मिलित हैं। इसलिए तथ्यों को व्यक्तिगत रूप से स्पष्ट करने में सम्मिलित होने वाले अभ्यासी कम होते जा रहे हैं।

गुरूजी: वास्तव में, डिवाइन लैंड मार्चिंग बैंड वर्तमान में शायद ही किसी नये गीत का अभ्यास कर रहा है। बैंड के सदस्य अधिकतर अकेले ही अभ्यास करने के लिए समय निकाल पाते हैं; समूह अभ्यास के लिए बहुत कम समय मिलता है। सभी क्षेत्रों में यही स्थिति है, इसलिए अधिकांशतः इसका अन्य परियोजनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। प्रारंभ में, जब बैंड की स्थापना हुई थी, तो उस दौरान साथ में अभ्यास करने के लिए समय निकालना पड़ता था। लेकिन वर्तमान में इसका [अन्य परियोजनाओं] पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है।

शिष्य: फालुन गोंग पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का दमन चीन से बाहर भी पहुंच गया है, और ऐसे मामले भी सामने आये हैं जब फालुन गोंग के अभ्यासियों को वापस चीन भेज दिया गया है। हमारे मीडिया को इसे कैसे संभालना चाहिए?

गुरूजी: जब दुष्टता हमारा दमन करती है, तो हम इसकी रिपोर्ट करते हैं—यह कोई समस्या नहीं है। हमारे लिए लज्जित होने की कोई बात नहीं है, क्योंकि हम जनता को जो दिखाते हैं वह सीसीपी की दुष्टता है। दाफा शिष्य दुष्टता से नहीं डरेंगे। दाफा के शिष्यों ने भयानक तूफानों का सामना किया है, तो कौन डरता है? यदि मुख्य भूमि के दाफा के शिष्य भी इससे नहीं डरते, तो चीन के बाहर कौन इससे डरेगा? जहाँ भी दुष्टता को उजागर किया जाना चाहिए, उसे उजागर करें और जो भी रिपोर्ट करने की आवश्यकता है, उसे रिपोर्ट करें।

शिष्य: मैं, आपका शिष्य, फा को कंठस्थ करने की बहुत इच्छा रखता हूँ, लेकिन विभिन्न परियोजनाओं के कारण समय बहुत कम है।

गुरूजी: यह आप पर निर्भर है। यह दुविधा हमेशा से उपस्थित रही है, क्योंकि दाफा शिष्यों को फा का अच्छी तरह से अध्ययन करते हुए फा का मान्यकरण करना होता है, और इसलिए उनके पास निश्चित ही समय कम होता है। यही चुनौती है जिसका आप सामना कर रहे हैं। स्वयं अच्छी प्रकार साधना करें और चेतन जीवों को बचाएं। निःसंदेह, दोनों महत्वपूर्ण हैं।

शिष्य: जब से गुरूजी ने हमें सैन फ्रांसिस्को में 2005 के व्याख्यान में बताया कि चाइनाटाउन हमारे द्वारा तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए बाकि रह गया था, तब से हम इसे संबोधित करने का प्रयास कर रहे हैं। हालाँकि, वहाँ दुष्टता आज भी व्याप्त है, और “बे एरिया” के शिष्य काफी चिंतित हैं। गुरूजी, कृपया हमें इस पर कुछ मार्गदर्शन दें।

गुरूजी: कितने लोग वास्तव में सैन फ्रांसिस्को के चाइनाटाउन में तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए गये हैं? यदि आपने इस पर दृढ़ता से काम नहीं किया है और इसमें केवल कुछ ही लोग सम्मिलित रहे हैं, तो निश्चित रूप से चीजें नहीं बदलेंगी! यह देखते हुए कि “बे एरिया” में इतने सारे शिष्य हैं, आप उस क्षेत्र को प्राथमिकता क्यों नहीं देते और वहाँ कुछ प्रयास क्यों नहीं करते?

शिष्य: विभिन्न क्षेत्रों से दाफा शिष्य आपको नमन भेज रहे हैं! ये नमन लिओनिंग प्रांत के फ़ुशुन शहर, हुबेई प्रांत के शशि शहर, यंताई शहर, हेनान प्रांत के पुयांग शहर, हेफेई शहर, हुनान प्रांत के पिंगजिआंग शहर, जिनान शहर, कुनमिंग शहर, लिआओनिंग प्रांत के डांडोंग शहर, हांगझोऊ शहर, फ़ुज़ियान प्रांत, नानपिंग शहर, मिनबेई शहर, गुइझोऊ प्रांत, जूनयी शहर, पानजिन शहर, जिआंगसु प्रांत के हुआइआन शहर, चांगचुन शहर, बीजिंग, तिआनजिन, नानजिंग, चांगझोउ शहर, गुइयांग शहर, युन्नान प्रांत के शीशुआंगबन्ना शहर, शेनयांग शहर, निंगदे शहर, हेनान प्रांत के जेंगझोउ शहर, जिलिन शहर, नानचांग शहर के होंगदू, ज़ुहाई शहर, लाइयांग शहर, चेनझोउ शहर, हेंगयांग शहर, हेंगनान शहर, सिचुआन प्रांत के लुझोऊ शहर, तिआनजिन विश्वविद्यालय, और हुनान प्रांत के यियांग शहर से आये हैं।

गुरूजी: आप सभी का धन्यवाद! (तालियाँ)

शिष्य: दाफा शिष्य गुरूजी से की गयी प्रतिज्ञाओं के साथ मानव संसार में आये। यदि इस मानव भ्रम में जी रहे जीवन में कोई शिष्य उस मार्ग पर नहीं चला जिसकी उसने प्रतिज्ञा की थी, तो क्या उसके पास अभी भी कोई साधना पथ है जो उसे फलपदवी की ओर ले जाता है? और विशेष रूप से, इसका बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

गुरूजी: यदि कोई प्राणी अपनी प्रतिज्ञा तोड़ता है, तो दिव्यलोक इसे गंभीर मामला मानते हैं। निःसंदेह, यदि दाफा शिष्यों पर दमन होने के दौरान उसने दुष्टता का अनुसरण नहीं किया है, ऐसी स्थिति को बदतर नहीं कर रहा है जो आरम्भ से ही बुरी थी, दाफा शिष्यों के दमन में सम्मिलित नहीं रहा है, और इस बीच दाफा के साथ अपनी पहचान बनाने में सक्षम रहा है, तो कम से कम उसे अगले चरण के लिए रहने की अनुमति दी जायेगी। अगले चरण में भी लोग साधना कर रहे होंगे। निःसंदेह, उन्हें फा-सुधार अवधि के दाफा शिष्यों का सम्मान और गौरव नहीं मिलेगा, क्योंकि यह महान सदगुण अथाह है। भविष्य में जब फा मानव संसार का सुधार करेगा, तो दाफा शिष्यों का एक समूह होगा, लेकिन उनकी साधना बहुत कठिन होगी, इतनी अधिक कि किसी के विचारों में थोड़ा सा भी भटकाव इस बात का कारण बनेगा कि फा उस व्यक्ति के समक्ष प्रकट नहीं होगा। पुस्तक प्राप्त करने के बाद, उनके इसे हर दिन पढ़ने पर भी आवश्यक नहीं है कि वे साधक हों। इसलिए उनसे उच्चतर मानदंडों का पालन कराया जायेगा, क्योंकि भविष्य में हर चीज की सच्ची अवस्था प्रदर्शित की जायेगी। दूसरे शब्दों में, हालांकि भविष्य में यह कठिन होगा, फिर भी साधना करने का अवसर उपलब्ध रहेगा।

शिष्य: कुछ क्षेत्रों में आपके व्याख्यानों को, जिन्हें फालुन दाफा एसोसिएशन द्वारा आधिकारिक रूप से पारित नहीं किया गया था, क्या व्यक्तिगत रूप से अभ्यासियों द्वारा पारित करने पर उन्हें अन्य क्षेत्रों के लोग सुन सकते हैं?

गुरूजी: कुछ अभ्यासी दूसरों से अलग दिखने का प्रयास करते हैं और समय-समय पर कुछ नया या अनोखा करके दिखावा करते हैं। जैसा कि मैंने कई अवसरों पर कहा है : मैं किसी विशेष परिस्थिति के बारे में या कुछ लोगों से जो कुछ कहता हूँ, उसे रिकॉर्ड नहीं किया जाना चाहिए, न ही उसे दूसरे अभ्यासियों को बताया जाना चाहिए। हालाँकि, कुछ लोग मानते ही नहीं हैं और ऐसा करने पर बल देते हैं। वे दिखावा कर रहे हैं, दाफा को कमज़ोर कर रहे हैं और दाफा शिष्यों की साधना में बाधा डाल रहे हैं। आप जानते हैं, साधना में सबसे प्रमुख संकेत यह है कि एक व्यक्ति अभी भी मानवीय मोहभावों को पाल रहा है, वह ऐसे काम कर रहा है जो दाफा का मान्यकरण करने के लिए नहीं बल्कि स्वयं का मान्यकरण करने के लिए हैं! यह एक विनाशकारी भूमिका निभाना है। ऐसे लोग भी हैं जो अक्सर गुरु के नाम पर काम करते हैं, कहते हैं, "गुरूजी ने मुझे ऐसा-ऐसा करने के लिए कहा," "गुरूजी ने ऐसा-ऐसा कहा," या "गुरूजी ने आपको ऐसा-ऐसा करने के लिए कहा।" मैंने कभी किसी से ऐसा या वैसा करने के लिए नहीं कहा। जो कोई भी ऐसा कहता है, वह गुरु के नाम पर अपना स्वार्थ पूरा कर रहा है। यहां तक कि यदि मैं किसी को कुछ हल करने के लिए विशिष्ट कार्रवाई करने का निर्देश देता हूं और वह व्यक्ति अन्य अभ्यासियों को बताता है, तब भी वह एक विनाशकारी भूमिका निभा रहा होता है। मेरे शब्दों को याद रखें : जो कोई भी मेरे नाम पर कुछ कहता है वह एक बुरा काम कर रहा होता है। कम से कम, उस समय वह बिल्कुल भी ऐसी बातें नहीं कह रहा होता है जो एक साधक को कहनी चाहिए; वह दूसरों को दबा रहा होता है और गुरु के नाम पर स्वयं को आगे बढ़ा रहा होता है। निःसंदेह, मैं दाफा शिष्यों के मुख्य स्वयंसेवकों से मेरी बातें प्रसारित करने के लिए कह सकता हूँ, और उन मामलों में मैं उनसे ऐसा करने के लिए कहता हूँ।

शिष्य: चीनी संस्कृति के पाँच हजार वर्षों के इतिहास ने मानव जाति के लिए फा को समझने की नींव रखी। अब जबकि फा-सुधार प्रक्रिया अपने अंत के निकट है, हमें ऐसी पाठ्यपुस्तकों को संकलित करने में अधिक समय देना चाहिए जो सच्ची, मानक चीनी संस्कृति सिखाती हों और जो प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय के छात्रों के साथ-साथ गैर-चीनी छात्रों के लिए भी उपयुक्त हों।

गुरूजी: मुझे लगता है कि इसे स्कूलों की स्थापना के साथ संयुक्त रूप से किया जाना चाहिए और संयोजित तरीके से किया जाना चाहिए। यदि आपमें से एक व्यक्ति ऐसा करना चाहता है और अगला व्यक्ति भी वैसा ही करना चाहता है, मानव संसाधन, भौतिक संसाधन और ऊर्जा खर्च करता है, हो सकता है अंत में यह उपयोगी न हो, और क्या आपने इसे व्यर्थ नहीं किया होगा? तथ्यों को स्पष्ट करना और लोगों को बचाना वास्तव में अभी एक आवश्यक मामला है। भविष्य के लोगों को उन चीजों को ठीक करना होगा जिन्हें उन्होंने एक बार बर्बाद कर दिया था। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि यह दुष्टता थी जिसने उन्हें ऐसे काम करने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि वे बुरे काम फिर भी मनुष्यों द्वारा किए गये थे। लोगों को वह गलती सुधारनी होगी जो उन्होंने एक बार की थी। इस प्रकार, दाफा शिष्य अब जो भी काम करते हैं, वह बस मानव जाति को अनुसरण करने के लिए एक उचित मार्ग प्रदान करने के लिए है।

शिष्य: कृपया हमें चीनी शास्त्रीय नृत्य का महत्व समझने में सहायता करें।

गुरूजी: महत्व के संदर्भ में बात करने के लिए बहुत कुछ नहीं है। दाफा शिष्य अपनी प्रस्तुतियों में चीनी शास्त्रीय नृत्य का उपयोग कर रहे हैं। क्या मुझे यहाँ चीनी नृत्य के बारे में बात करनी चाहिए? (श्रोता हँसते हैं) चूँकि आप अपनी प्रस्तुतियों में इसका उपयोग कर रहे हैं, इसलिए मैं इसके बारे में कुछ शब्द कहूँगा। "चीनी नृत्य" वास्तव में चीनी शास्त्रीय नृत्य कहने का एक संक्षिप्त तरीका है। और निश्चित रूप से, चीनी नृत्य में लोक नृत्य, जातीय नृत्य आदि सम्मिलित हैं। चीनी शास्त्रीय नृत्य को शास्त्रीय नृत्य क्यों माना जाता है? क्योंकि यह प्राचीन चीन से हस्तांतरित होता आ रहा था। जहाँ तक चीजों को हस्तांतरित करने की बात है, तो वास्तव में दो तरीके हैं : एक है जब विभिन्न अवधियों की प्राचीन संस्कृतियों को लोगों के अस्तित्व में डाला जाता है, जिससे एक तरह का आधार बनता है जो मनुष्य के हर मुद्रा से जुड़ा होता है, जिसे "युन आधार" कहा जाता है; दूसरा तरीका सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से है, और संस्कृति के हस्तांतरण को एक ओर मौखिक और लिखित प्रसारण में विभाजित किया जा सकता है, और दूसरी ओर नृत्य की मुद्राओं या गतिक्रियाओं का प्रसारण। विभिन्न क्षेत्रों में नृत्य की भिन्न-भिन्न शैलियाँ होती हैं, और जो चीजें मानव शरीर में डाली जाती हैं, वे बदले में लोगों की मुद्राओं और गतिक्रियाओं को उनकी जातीय विशिष्टता को परिभाषित करती हैं; यह उस जातीय व्यवहार को संदर्भित करता है जो एक मनुष्य को बनाता है। यही कारण है कि एक चीनी और एक पश्चिमी व्यक्ति द्वारा की गयी हर मुद्रा में एक बड़ा अंतर होता है—उदाहरण के लिए एक हाथ उठाना या एक पैर उठाना—साथ ही साथ उनके चेहरे के भावों में भी। वास्तव में, यह जातीय "युन आधार" है, जिसे सीखना बहुत कठिन है। आप चाहे कोई भी नृत्य मुद्रा या गतिक्रिया अपनाएं, आपके हाथ का प्रत्येक विस्तार और आपके पैर का प्रत्येक जमाव इस प्रभाव को व्यक्त करता है, और यह एक सूत्र में बंधा होता है जो इतिहास में चलता आ रहा है।

चीनी नृत्य के तीन मुख्य घटक हैं : शारीरिक युन, शारीरिक रूप और तकनीक। "शारीरिक युन" जिस पर चीनी नृत्य बल देता है, वह वास्तव में शारीरिक प्रदर्शन के माध्यम से जातीय प्रभाव को व्यक्त करने के बारे में है। इतिहास में चीनी नृत्य के शारीरिक-रूप के पक्ष को व्यवस्थित रूप से हस्तांतरित नहीं किया गया, लेकिन तकनीकें, हालांकि, हस्तांतरित की गईं, और असाधारण रूप से अच्छी तरह से। जैसा कि आप जानते हैं, "वुशु" (मार्शल आर्ट) शब्द में "वु" अक्षर और "वुदाओ" (नृत्य) शब्द में वु अक्षर समध्वनीय हैं, जिन्हें देवताओं द्वारा जानबूझकर योजनाबद्ध किया गया था। और वास्तव में, यदि वु [जैसा कि वुशु में] अक्षर का उपयोग कोमल स्वर में किया जाता है, तो यह नृत्य को संदर्भित करेगा; यदि वु जैसा कि वुदाओ में] अक्षर का उपयोग ऊँचे स्वर में किया जाता है, तो यह मार्शल आर्ट को संदर्भित करेगा। इतिहास में विभिन्न राजवंशों में और विभिन्न प्रकार की स्थितियों में, शाही दरबारों से लेकर साधारण नागरिकों की [स्थितियों] तक, कई अवसरों, जैसे कि उत्सवों और भोजों पर, जो नृत्य किए जाते थे, वे योद्धाओं द्वारा किए जाते थे, जो छलांग लगाते थे, घूमते थे, और कलाबाजी वाली ऐसी गतिक्रियाएँ करते थे जिनमें मार्शल आर्ट तकनीकें सम्मिलित होती थीं, और वे तलवारें, भाले, लाठियां और इसी प्रकार की चीजें लहराते थे। इसके विपरीत, भौतिक रूप अधिकतर लोगों के बीच प्रसारित होते थे, और उनमें विभिन्न शैलियों के कई तत्व सम्मिलित होते थे। भिन्न-भिन्न राजवंशों के अपने दरबारी नृत्य भी थे, और यह प्रथा कभी रुकी नहीं। हालाँकि, यह वर्तमान में ही था कि लोगों ने व्यवस्थित रूप से चीनी नृत्य को मानकीकृत करना आरम्भ किया और चीनी नृत्य का औपचारिक अध्ययन और शिक्षण स्थापित किया—अर्थात व्यवस्थित तरीके से चीनी नृत्य सिखाना। हालाँकि, यह [नृत्य का रूप] निश्चित रूप से वर्तमान में नहीं बनाया गया था।

चीनी नृत्य में मूल बातों को निखारने के लिए प्रशिक्षण की अपनी पूरी प्रणाली है। इसमें बैले के समान अभ्यास होते हैं, जैसे कि “बार” से या फर्श पर किए जाने वाले व्यायाम। इस बीच, इसमें शारीरिक युन, शारीरिक रूप और तकनीकें भी हैं। मुख्य भूमि चीन आज शास्त्रीय नृत्य की जिस भौतिक शैली का उपयोग करती है, वह पार्टी की संस्कृति की प्रणाली द्वारा सीमित है, और वहां की समझ वास्तव में काफी उथली है। युन केवल सतह पर दिखाई देने वाली नृत्य गतिक्रियाओं के बारे में नहीं है; यह मुख्य रूप से उस जातीयता के आंतरिक गुणों के बारे में है। उदाहरण के लिए, जब एक पश्चिमी और एक चीनी व्यक्ति, जिन्होंने पहले कभी नृत्य नहीं सीखा है, एक साथ चीनी नृत्य का अध्ययन करना आरम्भ करते हैं, तो वे निश्चित रूप से भिन्न-भिन्न आधार प्रदर्शित करेंगे। किसी की जातीयता के माध्यम से हस्तांतरित की गयी चीजें हड्डियों और व्यक्ति के अस्तित्व में बसी होती हैं। चीनी नृत्य के उन्नत तकनीकों में कलाबाजी, कूदना और घूमना सम्मिलित है जो बैले की तुलना में करना कठिन है, और इसके लिए बैले की तुलना में तकनीक में अधिक महारत की आवश्यकता होती है। चीनी नृत्य का विस्तार बैले से अधित व्यापक है, और इसमें बहुत अधिक गतिक्रियाएँ हैं।

बैले में केवल कुछ ही गतिक्रियाएँ होती हैं, और यदि आप इसमें कोई और गतिक्रिया जोड़ने का प्रयास करते हैं, तो यह बैले गतिक्रिया नहीं होगी। इसलिए इसे बदला नहीं जा सकता। इसके विपरीत, चीनी नृत्य में इतनी गतिक्रियाएँ होती हैं कि चीनी नृत्य के लिए किसी भी दिए गये चरित्र को चित्रित करना अपेक्षाकृत सरल है। यह सब किया जा सकता है, चाहे नृत्य में किसी भी चरित्र, स्थिति या परिवेश को दर्शाया जाना हो। यह इसकी विशेषताओं में से एक है, और इसकी रचना अपेक्षाकृत सरल है। दूसरी ओर, बैले के साथ, एक नयी रचना को बनाना बहुत कठिन है, क्योंकि इसमें बहुत कम गतिक्रियाएँ हैं—इसमें बस इतना ही है—और जब आप इससे अधिक करते हैं, तो यह अब बैले नहीं रह जाता है। चूँकि चीनी नृत्य बहुत व्यापक है और इसमें बहुत कुछ सम्मिलित है, इसलिए कुछ बनाना अपेक्षाकृत सरल है। इसलिए यह दाफा शिष्यों के लिए उपयोगी होता है जब वे चीनी नववर्ष की प्रस्तुतियों में चीनी नृत्य का उपयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त, चीन की पाँच हजार वर्ष प्राचीन सभ्यता है, इसलिए किसी भी कहानी या किसी भी चीज को मंच पर दिखाया जा सकता है। यह सामग्री का एक अंतहीन, अटूट स्रोत प्रदान करता है। उस दुष्ट सीसीपी की अत्यंत नीरस, उबाऊ संस्कृति का क्या मूल्य है? पिछले वर्ष, दुष्ट सीसीपी ने दाफा शिष्यों के प्रदर्शनों में हस्तक्षेप करने के प्रयास में पुरे विश्व में साठ से अधिक प्रदर्शन कला मंडलियों को भेजकर इतना धन और जनशक्ति व्यर्थ कर दी, कि वे विभिन्न मुर्खताओं का प्रदर्शन करने लगे, और उनके भद्दे और अपमानजनक प्रदर्शनों में किसी को भी दिलचस्पी नहीं थी। उन्हें अपने प्रदर्शन देखने के लिए लोगों को पैसे देने पड़ते थे, और फिर भी लोग उनका बहुत मजाक उड़ाते रहे। उन्होंने अरबों डॉलर व्यर्थ कर दिए और पूर्ण रूप से असफल होकर घर लौटे। और उनके कई कलाकारों ने दलबदल करने के अवसर का लाभ उठाया। मुआवजा असमान रूप से वितरित किए जाने के कारण विभिन्न प्रदर्शन कला मंडलियों में भयंकर अंतर्कलह था; इससे उन्हें बहुत हानि हुई क्योंकि कोई भी उनके प्रदर्शन देखना नहीं चाहता था; और दर्शकों के पास उन्हें अपशब्द कहने के लिए पर्याप्त शब्द नहीं थे। उनके सभी कलाकार पार्टी की संस्कृति की बुरी आदतों से बहुत अधिक प्रभावित थे, इसलिए दुष्ट पार्टी के लिए व्यर्थ हथकंडे अपनाने के अतिरिक्त कुछ नहीं रह गया है। (तालियाँ)

शिष्य: चीनी नववर्ष के भव्य आयोजन ने चेतन जीवों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। कुछ अभ्यासियों ने कहा कि चेतन जीवों को बचाने और अधिक लोगों को हमारे प्रदर्शन को देखने के लिए आने में सक्षम बनाने के लिए, हम टिकट के मूल्यों में कटौती कर सकते हैं और प्रदर्शन को होने वाले वित्तीय हानि को अनदेखा कर सकते हैं। क्या ऐसी सोच उचित थी?

गुरूजी: नहीं, यह उचित नहीं थी। आपको मूल्य कम करना पड़ा या कुछ टिकटें देनी पड़ीं क्योंकि आपने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, जो आपको करना चाहिए था वह पूरा नहीं किया, आपके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था और आपके सामने एक अपेक्षित समस्या थी। इसीलिए ऐसा किया गया। यह आपके अच्छा प्रदर्शन न करने का परिणाम था।

शिष्य: जब मैं तथ्यों को स्पष्ट करता हूँ, तो मैंने पाया है कि कुछ विदेश में रहने वाले चीनी लोगों के लिए चीन में रहने वालों की तुलना में सच्चाई को स्वीकार करना अधिक कठिन है।

गुरूजी: पहले ऐसा था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। विदेशी चीनियों की वृद्ध पीढ़ी, जिन्होंने मुख्य भूमि चीन को पहले ही छोड़ दिया था, ठीक उसी समय उन देशों में पहुंचीं जब पुरे विश्व में दुष्ट पार्टी के गुट और स्वतंत्र विश्व के बीच टकराव चल रहा था। दुष्ट पार्टी के गुट के देशों और यहाँ तक कि उनके लोगों को भी दूसरों द्वारा वास्तव में नीची नजर से देखा जाता था। ऐसा इसलिए नहीं था क्योंकि वे लोग किसी दूसरे देश से थे, बल्कि इसलिए क्योंकि चीन एक ऐसा समाज था जिस पर दुष्ट पार्टी का शासन था; इसका परिणाम यह हुआ कि चीनी लोगों को नीची नजर से देखा जाने लगा। जब भी चीन का विषय आता था, तो कोई भी इसे स्वीकार नहीं करता था, क्योंकि चीन और दुष्ट कम्युनिस्ट पार्टी को पर्याय माना जाता था। इसलिए, कुछ वृद्ध विदेशी चीनियों को लज्जा और अपमान की भावना अनुभव हुई। वे तब प्रसन्न होते हैं जब चीन शक्तिशाली और समृद्ध होता है, और यह सीसीपी और चीन के बीच स्पष्ट अंतर करने में उनकी विफलता का परिणाम है—यह एक जटिल मानसिक स्थिति है—भले ही वे दुष्ट सीसीपी को स्वीकार न करते हों। यदि चीन आज दुष्ट सीसीपी के शासन के अधीन नहीं होता और एक सामान्य सरकार होती, और यदि साथ ही यह शक्तिशाली और समृद्ध होता, तो वे निश्चित रूप से प्रसन्न होते। हमें यह पहचानने की आवश्यकता है कि उनके लिए मुख्य मुद्दा क्या है। जब हम सत्य की व्याख्या करते हैं, तो हमें यह निर्धारित करने की आवश्यकता होती है कि व्यक्ति के मन में बाधा कहाँ पर है।

शिष्य: न्यूयॉर्क में चीनी नववर्ष के भव्य कार्यक्रम के दौरान कुछ प्रदर्शन जो सीधे दाफा की चीजों को दर्शाते हैं, उनमें बदलाव हुए। क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि शिष्यों के शक्तिशाली पवित्र विचार नहीं थे, या इसलिए कि दर्शक उन चीजों को स्वीकार नहीं कर सके?

गुरूजी: कार्यक्रम में बदलाव नगण्य बातें थीं। यदि कोई चीज बिल्कुल उपयुक्त नहीं है तो उसे बदल देना चाहिए। इसमें हस्तक्षेप था, जो सब दुष्ट पार्टी के विशेष एजेंटों से आया था। उन्होंने मेरे काम में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया, लेकिन यह बिल्कुल भी कारगर नहीं हुआ। यदि मैं कुछ करना चाहता हूं, तो कोई भी इसे प्रभावित नहीं कर सकता, चाहे वह कितना भी प्रयास कर ले। (तालियाँ) इसलिए मैं अक्सर दाफा शिष्यों से कहता था : "आपको इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए कि आप क्या कर रहे हैं। आप दूसरों के सुझावों को सुन सकते हैं और उन पर ध्यान दे सकते हैं, लेकिन यदि आप उचित मार्ग पर चल रहे हैं तो आपको निरंतर इधर-उधर नहीं भटकना चाहिए।"

इस बात पर, मैं आपको कुछ बताना चाहता हूँ। आप सभी जानते हैं कि इन वर्षों के दौरान जब दुष्ट सीसीपी दाफा शिष्यों का दमन कर रही है, चाहे वह इंटरनेट पर दुष्ट व्यवहार प्रदर्शित करने वाले कुछ सीसीपी एजेंट हों या मीडिया में झूठ गढ़ने वाली दुष्ट सीसीपी हो, उन्होंने निश्चित रूप से मुझे निरंतर बदनाम किया और हर प्रकार के झूठ गढ़े। निस्संदेह, वे सभी सबसे बुरे प्रकार के पाप थे, जिनके लिए वे संभवतः प्रायश्चित नहीं कर सकते; उन्हें भविष्य में इसका एहसास होगा। लेकिन मैंने कभी भी इनमें से कुछ भी नहीं सुना या देखा। क्या आपको इसका एहसास हुआ? मैंने कभी भी उन वेबसाइटों को नहीं देखा—क्या आप विश्वास करेंगे? (तालियाँ) मुझे पता था कि वे मुझे बदनाम करेंगे, लेकिन मुझे यह जानने में कोई रूचि नहीं थी कि वे मुझे किन नामों से पुकार रहे थे। और निःसंदेह, अभ्यासी स्वयं मुझे बताने में हिचकिचाए, इसलिए किसी ने भी उन बातों को मेरे सामने नहीं दोहराया। (श्रोता हँसते हैं) मैं उन चीजों को क्यों देखना चाहूँगा? वे चीजें मुझे प्रभावित नहीं कर सकती थीं। मुझे पता था कि मैं क्या कर रहा हूँ, और मुझे इस मामले के आरम्भ और अंत का पता था, और यही पर्याप्त था! (तालियाँ) तो जहाँ तक बीच की इस प्रक्रिया का प्रश्न है, मैं उन सभी असंख्य परिवर्तनों को पूर्ण रूप से अनदेखा करता हूँ, चाहे वे कुछ भी हों। जब तक मेरे दाफा शिष्य अपने मार्ग पर अच्छी तरह से चल रहे हैं और मैं सुनिश्चित करता हूँ कि कोई समस्या न हो, मैं केवल इसी की चिंता करता हूं। (तालियाँ)

शिष्य: गुरूजी के नये लेख में कहा गया है कि त्रिलोक में हस्तक्षेप करने वाले देवताओं को पूर्ण रूप से विघटित कर दिया जाये, जिनका फा-सुधार में हस्तक्षेप करने में हाथ है। "हस्तक्षेप करने वाले देवताओं" का क्या अर्थ है?

गुरूजी: हस्तक्षेप करने वाले देवता... प्राचीन शक्तियां और वे सभी जो दाफा पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, हस्तक्षेप करने वाले देवता माने जाते हैं। (तालियाँ)

शिष्य: इतिहास के परंपरागत धर्म अब साधना के लिए मार्गदर्शन प्रदान नहीं कर सकते, और अब वे फा-सुधार में बाधा डाल रहे हैं। तो फिर हमारी उनके बारे में क्या सोच होनी चाहिए?

गुरूजी: मैंने इस बारे में बात की है कि उन्हें कैसे संभाला जाना चाहिए। आपको धर्मों की ओर केंद्रित कोई कार्रवाई नहीं करनी है, क्योंकि हम केवल लोगों के मन में क्या है, इस पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यदि कोई व्यक्ति साधना करना चाहता है, तो उससे [दाफा के बारे में] बात करें; और यदि वह तथ्यों को सुनना चाहता है, तो उसे समझाएँ, और यह ठीक रहेगा। ऐसा कुछ भी विशेष करने की आवश्यकता नहीं है, और आपको इस समूह को खोज निकालने की आवश्यकता नहीं है। बस उनका आपके पास आने की प्रतीक्षा करें। मैंने कहा है कि सभी प्राणी आएंगे और सत्य को सुनेंगे, क्योंकि यह दाफा के प्रति उनका दृष्टिकोण है जो यह निर्धारित करेगा कि उन्हें रखा जायेगा या नहीं। उन हस्तक्षेप करने वाले देवताओं को क्यों हटाया जाना चाहिए जो धर्मों पर नियंत्रण रखते हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि उन [धर्मों] के लोगों को एक पक्ष लेना पड़ता है, और वे हस्तक्षेप करने वाले देवता उन्हें ऐसा करने नहीं देते हैं और उन्हें बचाये जाने के अवसरों से वंचित कर रहे हैं, इसलिए उन्हें हटा दिया जाना चाहिए। और ऐसा इसलिए है क्योंकि वे चेतन जीवों को नष्ट कर रहे हैं। इस तथ्य के बाद भी कि वे अस्तित्व, देवताओं के रूप में प्रकट होते हैं, कई [धार्मिक संबद्धता वाले] प्राणी [उन देवताओं से भी] उच्च स्तर से पुनर्जन्म लेते हैं और मनुष्य बन जाते हैं। वे उनसे इतने ऊँचे हैं कि वे [हस्तक्षेप करने वाले देवता] उन लोगों का नाश करने के योग्य नहीं हैं। इसलिए हस्तक्षेप करने वाले देवताओं को हटा दिया जाना चाहिए और सभी प्राणियों को अपना पक्ष लेने का अवसर दिया जाना चाहिए।

शिष्य: नमन, गुरूजी! मैं बीजिंग से एक दाफा शिष्य हूँ। चीन छोड़ने से पहले, बीजिंग के कई दाफा शिष्यों ने हमें बार-बार स्मरण कराया कि यदि हमें गुरूजी से मिलने का अवसर मिले तो उनको नमन अवश्य पहुँचाएँ! हमें गुरूजी की बहुत याद आती है। आज हमें आखिरकार वह कार्य पूर्ण करने का अवसर मिला है जो उन्होंने हमें सौंपा था, इसलिए उनकी ओर से, मैं गुरूजी को हेशी करता हूँ और नमन करता हूँ! नमन, गुरूजी! नमन, गुरूजी!

गुरूजी: धन्यवाद! (तालियाँ) मैं बीजिंग के दाफा शिष्यों को धन्यवाद देता हूँ! ऐसा नहीं है कि बीजिंग के दाफा शिष्य अच्छा काम नहीं कर रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं, सबसे अधिक दुष्ट शक्तियां बीजिंग में केंद्रित हैं, इसलिए तथ्यों को स्पष्ट करने और अभ्यासियों की स्थिति की प्रभावशीलता के मामले में, वहाँ की चीजें निश्चित रूप से अन्य स्थानों से पीछे हैं। ऐसा इसलिए नहीं है कि अभ्यासियों में कमी है, बल्कि इसलिए कि वहाँ दुष्ट शक्तियां अधिक हैं और अधिक केंद्रित हैं। अधिक से अधिक दुष्टता के व्यापक विनाश के साथ, बीजिंग में दाफा शिष्य अन्य स्थानों के शिष्यों की तुलना में पीछे नहीं रहेंगे या कमतर नहीं होंगे। यह पक्का है। (तालियाँ)

शिष्य: ओसाका, जापान के दाफा शिष्य, हमारे महान गुरूजी को अपना नमन भेजते हैं! गुरूजी, आप कड़ा परिश्रम कर रहे हैं! मैं अपने स्वयं के प्रति मोह को छोड़ने में असमर्थता के कारण पीड़ा में हूँ, जिसके कारण चेतन जीवों को बचाने में विलंब हुआ है। फा का अधिक अध्ययन करने के अतिरिक्त, मैं फा-सुधार अवधि के दाफा शिष्य होने की आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए और क्या कर सकता हूँ?

गुरूजी: चूँकि आप जानते हैं कि आपने पर्याप्त रूप से अच्छा नहीं किया है, बस आगे बढें और आवश्यकताओं पर खरा उतरें। दाफा शिष्यों की तीन चीजें अच्छी तरह से की जानी हैं। वर्तमान में, सबसे महत्वपूर्ण बात है चेतन जीवों को बचाना, अधिक लोगों को बचाना! यही सबसे महत्वपूर्ण बात है।

शिष्य: कैलिफोर्निया से आये शिष्य गुरूजी को हेशी करते हैं! गुरूजी, कृपया हमें बताएं कि क्या हमें अभी भी पुनर्जागरण विश्वविद्यालय स्थापित करना चाहिए? क्या भविष्य का चिकित्सा विज्ञान साधना का ही एक भाग है?

गुरूजी: विश्वविद्यालय स्थापित करना है या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि परिस्थितियाँ योग्य हैं या नहीं। [आप पूछ रहे हैं] भविष्य के चिकित्सा विज्ञान के बारे में? ऐसा लगता है कि वर्तमान चिकित्सा विज्ञान भी साधना नहीं हैं। (शिष्य हँसते हैं) दाफा शिष्य किसी भी व्यवसाय में काम करते हुए साधना कर सकते हैं, लेकिन वे व्यवसाय अपने आप में साधना नहीं हैं।

शिष्य: नमन गुरूजी! हार्बिन शहर के शिष्य गुरूजी को अपना नमन भेज रहे हैं!

गुरूजी: मैं हार्बिन के दाफा शिष्यों को धन्यवाद देता हूँ।

शिष्य: हाल ही में अंग्रेजी इपोक टाइम्स जिस प्रकार काम कर रहा है, उसे देखते हुए क्या गुरूजी कुछ मार्गदर्शन कर सकते हैं?

गुरूजी: ये मामले इस बात से जुड़े हैं कि आप चीजों को कैसे संभाल रहे हैं। आप पूछते हैं कि समस्याएँ क्यों आयी हैं? यह कुछ ऐसा है जो मुझे आपसे पूछना चाहिए। (गुरूजी हँसते हैं) (शिष्य हँसते हैं) आपके पास मानवीय, भौतिक और वित्तीय संसाधनों की कमी है, इसलिए चुनौतियाँ निश्चित रूप से कठिन हैं। हालाँकि, चीनी इपोक टाइम्स ने आरंभ के दिनों में भी इनका सामना किया था, और इसे पार कर लिया—संघर्ष करते हुए पार कर लिया। आप उन अनुभवों से सीखने और उनका लाभ उठाने के लिए अधिक प्रयास करने पर विचार कर सकते हैं। हालाँकि, समाचार पत्र को कैसे चलाना है, इसकी बारीकियाँ अभी भी आप पर निर्भर हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसे यह पता लगाना कि अच्छी तरह से साधना कैसे की जाए।

शिष्य: कुछ समय पहले, मिंगहुई वेबसाइट ने एक लेख में एक टिप्पणी जोड़ी थी, जिसमें कहा गया था कि वर्तमान में शिष्यों को जो अभ्यासी नहीं है या नये अभ्यासियों से विवाह न करने का पूरा प्रयास करना चाहिए। ताइवान का एक दाफा शिष्य मुख्य भूमि चीन के एक दाफा शिष्य के लिए इस बारे में पूछना चाहता है।

गुरूजी: वह लेख एक दाफा शिष्य द्वारा लिखा गया था, और दाफा शिष्यों ने जो लिखा है उसपर चर्चा और विचारों का आदान-प्रदान किया जा सकता है। ऐसा नहीं है कि फा ने आपको कुछ करने के लिए कहा है, न ही यह कि इसे एक निश्चित तरीके से किया जाना चाहिए। गुरु ने ऐसा नहीं कहा, और फा के अनुसार इसकी आवश्यकता नहीं है। हालाँकि, जब दाफा शिष्य कुछ करते हैं, तो उनके लिए उस पर अतिरिक्त विचार करना समझदारी है। आप एक दाफा शिष्य हैं, इसलिए आपको अपनी साधना के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए, और आपको दाफा शिष्यों के वातावरण के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए। इसलिए, मुझे लगता है कि यदि आप उस आधार पर चीजों पर विचार करने में सक्षम हैं, तो आप जान पाएंगे कि क्या कुछ चीजें की जानी चाहिए, और यदि हां, तो उन्हें कैसे किया जाना चाहिए। यदि आप स्वयं को महत्त्व देते हैं, तो यह संभावना है कि कई चीजें ठीक नहीं होंगी, और समस्याएं उत्पन्न होंगी। यदि आप वास्तव में दाफा और अपनी साधना के प्रति उत्तरदायी होना चाहते हैं, तो आप चीजों को अच्छी तरह करेंगे।

शिष्य: मुझे पवित्र विचार भेजने के समय के दौरान काम करना पड़ता है। यदि मैं काम करते समय पवित्र विचार भेजूं तो क्या यह प्रभावी होगा?

गुरूजी: अत्यंत विशेष परिस्थितियों में, अर्थात, जहाँ आप वास्तव में जो काम कर रहे हैं उसे छोड़ नहीं सकते, आप अपना काम पूरा करके फिर पवित्र विचार भेज सकते हैं। आप कह सकते हैं, "मैं पवित्र विचार भेजते हुए काम करूँगा", लेकिन ऐसा करना बहुत कठिन है, वास्तव में कठिन है। जब आप किसी साधारण कार्यस्थल पर काम कर रहे होते हैं, तो आपको हाथों की मुद्रा का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि हो सकता है दूसरे लोग इसे न समझें। यदि आप चुपचाप बैठे रहें, तो यह ठीक है, क्योंकि पवित्र विचार भेजने के लिए मन का उपयोग ही पर्याप्त है। यदि आप उसी समय में काम कर रहे हैं, तो आप निश्चित रूप से पवित्र विचार अच्छी तरह नहीं भेज पाएँगे। यदि आप कहते हैं कि आप वास्तव में [काम करना बंद नहीं कर सकते], तो आप अपना काम जारी रख सकते हैं और बाद में इन्हें भेज सकते है। लेकिन, जब संसार के दाफा शिष्य एक साथ पवित्र विचार भेजते हैं, तो शक्ति असीम होती है। इसलिए, यदि प्रत्येक व्यक्ति इस मामले को बहुत शक्तिशाली पवित्र विचारों के साथ संभालने में सक्षम होता और आरम्भ से ही इसे बहुत अच्छी तरह करता, तो शायद अब कोई दुष्टता नहीं बची होती। यह निश्चित रूप से इसलिए है क्योंकि कई अभ्यासियों के साथ किसी न किसी चीज का हस्तक्षेप रहा है, इसलिए इसे अच्छी तरह नहीं किया गया है।

शिष्य: अभी दोपहर के 3:30 बजे हैं, और गुरूजी लगभग दो घंटे से फा सिखा रहे हैं। शिष्य गुरूजी को पानी पीने के लिए निवेदन करते हैं।

गुरूजी: थोड़ी देर में। (तालियाँ)

शिष्य: दाफा शिष्य किसी अन्य शिष्य की सहायता के लिए क्या कर सकते हैं जो मृत्युशैया पर है?

गुरूजी: सबसे अच्छी चीज यह है कि उसे फा पढ़कर सुनाया जाये। चाहे उसे इस समय प्रस्थान करना था या नहीं, यह सब उस पर निर्भर है। साथ ही, चाहे मेरे दाफा शिष्य दमन के परिणामस्वरूप मारे गये हों या इस समयावधि के दौरान प्राचीन शक्तियों द्वारा दमन किये जाने के परिणामस्वरूप इस संसार से चले गये हों, वे सभी फलपदवी तक पहुँच चुके हैं। (तालियां) यह इस प्रकार क्यों काम करता है? आप जानते हैं कि पूरा ब्रह्मांड इस फा-सुधार को ध्यान से देख रहा है, और तीनों लोकों की रचना फा-सुधार के लिए ही की गयी थी। सभी प्राणी इतिहास के लंबे समय से आज के फा-सुधार की प्रतीक्षा कर रहे हैं। आज मानव जगत में होने वाली हर एक घटना वास्तव में महत्वपूर्ण है! और विशेष रूप से वे घटनाएँ महत्वपूर्ण हैं जिनका दाफा, फा-सुधार या दाफा शिष्यों से सीधा संबंध है। यदि कोई इस अवधि के दौरान, जब दमन हो रहा है, यह कहने का साहस करता है कि "फालुन दाफा अच्छा है"—केवल उस मन से कहे गये एक कथन के आधार पर, एवं कुछ और किये बिना—वह व्यक्ति निश्चित रूप से अपने मूल स्थान पर लौट जायेगा! (तालियाँ) ऐसा क्यों है? इस समय के दौरान और एक बुरे वातावरण के बीच, वह अभी भी फा का मान्यकरण करने का साहस करता है, इसलिए वह निश्चित रूप से एक दिव्य प्राणी बन जायेगा। जो कोई भी इस दमन के समय में दाफा शिष्यों के लिए एक छोटा सा भी दयालु कार्य या छोटी सी भी अच्छी बात करता है, वह निश्चित रूप से एक दिव्य प्राणी बन जायेगा! (तालियाँ) ऐसा इसलिए है क्योंकि यह इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण क्षण है, और देवता हर एक प्राणी के मन में हर एक विचार को ध्यान से देख रहे हैं। ब्रह्मांड में असंख्य, अनगिनत प्राणी संसार के लोगों को देख रहे हैं। हवा के हर कण में आँखें हैं—हवा उन प्राणियों से भरी हुई है जो सब कुछ देख रहे हैं, इस स्थान पर प्राणियों के [विचारों और व्यवहार में] हर छोटे से छोटे बदलाव को देख रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यहाँ यह स्थान फा-सुधार का केंद्र बिंदु है, और [यहाँ होने वाली चीजें] पूरे ब्रह्मांड में सभी प्राणियों के भविष्य को प्रभावित करती हैं। मानवीय नेत्र इन चीजों को नहीं देख सकते हैं, इसलिए उन्हें ऐसा लगता है कि कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं हो रहा है। लेकिन अनगिनत देवता, उनकी अभूतपूर्व संख्या, तीनों लोकों को ध्यान से देख रहे हैं। यदि कोई मनुष्य सचमुच इसे देख सके तो उसे यह बेहद भयावह लगेगा। एक व्यक्ति के मन में आने वाला एक भी विचार और उसके मन में आने वाली कोई भी सोच अनगिनत देवताओं से छिपी नहीं रह जाती। इस प्रकार, इस अवधि के दौरान एक व्यक्ति जो कुछ भी करता है वह उसका भविष्य निर्धारित कर रहा है। फिर एक दाफा शिष्य के लिए, जिसने इतने सारे काम किये हैं जो कि दाफा शिष्यों को करने चाहिए, इस बारे में सोचें : फिर उसे कहाँ पहुँचना चाहिए? क्या [ऊपर वर्णित प्रकार के व्यक्ति का] केवल दाफा शिष्य होने के कारण मृत्यु के बिंदु तक दमन नहीं किया गया था? क्या वह दाफा शिष्य नहीं है? न केवल वह फलपदवी प्राप्त करेगा, बल्कि उसे वह सब सम्मान और गौरव प्राप्त होगा जो एक दाफा शिष्य को मिलना चाहिए। (तालियाँ)

अब जब मैं इस विषय पर चर्चा कर रहा हूँ, तो कुछ बात मेरे मन में आती है। हमारे कुछ अभ्यासी हैं जिन्हें जासूस बिल्कुल नहीं कहा जा सकता, लेकिन आपने जो काम किये हैं, वे वास्तव में भयानक हैं। आप अभी भी साधना करना चाहते हैं, लेकिन आपने पहले जो बुरे काम किये हैं, उनका लाभ सीसीपी उठा रही है, जो बदले में उस जानकारी का उपयोग आपको धमकाने के लिए करती है। आपको डर है कि यदि सीसीपी आपको उजागर कर देगी, तो दाफा शिष्य आपके साथ भिन्न प्रकार से व्यवहार करेंगे। आपको डर है कि गुरूजी आपके साथ भिन्न प्रकार से व्यवहार करेंगे। वास्तव में, मैं आपके बारे में बहुत पहले से जानता हूँ! उस [डर] के कारण, आप अपनी इच्छा के विरुद्ध वो काम कर रहे हैं जो दुष्टता आपसे करवाना चाहती है। एक ओर आप दाफा शिष्य बनना चाहते हैं, लेकिन दूसरी ओर आप बुरे काम करते रहे हैं। तो आप ही बताइये मुझे आपके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए? अभी आपके पास केवल दो विकल्प हैं : आप दृढ़ निश्चय के साथ साधना कर सकते हैं, जिस स्थिति में आप दाफा शिष्य हैं और जो कुछ भी आपने पूरा किया है वह आपका महान सदगुण बन जायेगा; या, आप दुष्टता के पक्ष में खड़े हो सकते हो, जिस स्थिति में आपने जो कुछ भी किया है वह सब व्यर्थ हो जायेगा और वह वो काम बन जायेगा जो आपने अपनी गलतियों को छिपाने के लिए किया था। मैंने पहले ही इस मामले को बहुत स्पष्ट कर दिया है। इसके अतिरिक्त, मैं आप सभी को यह बता दूं कि निकट भविष्य में इस मामले में वर्णित प्रत्येक व्यक्ति को और अधिक समय नहीं दिया जायेगा। समय बहुत शीघ्र आ रहा है! यह बहुत शीघ्र होगा। मानवीय शब्दों में इसे "प्रतिफल" कहा जाता है, और यह निकट है। लेकिन चाहे मैंने पहले जो भी कहा, कुछ लोगों के साथ ऐसा होता है कि यह केवल एक कान में गया और दूसरे कान से निकल गया। चाहे आप इस पर विश्वास करना चाहें या नहीं, इस महत्वपूर्ण, ऐतिहासिक क्षण में [आपका निर्णय] कोई छोटी बात नहीं है। आपने फा पढ़ा है। आपको कौन सा मार्ग अपनाना चाहिए? आपको इस पर थोड़ा विचार करना चाहिए और स्वयं निर्णय लेना चाहिए!

शिष्य: हमें अपने बच्चों को उनकी साधना में कैसे नेतृत्व और मार्गदर्शन करना चाहिए?

गुरूजी: क्या आपको, दाफा शिष्यों के रूप में, वास्तव में यह बताने की आवश्यकता है कि क्या करना है? यदि आपका बच्चा अभी तक अभ्यास नहीं कर सकता है, तो आपको उसे फा पढ़कर सुनाना चाहिए और उसे दाफा शिष्यों के गीत गाना सिखाना चाहिए। कई दाफा शिष्यों के बच्चे होंग यिन का पाठ कर सकते हैं। उनमें से कुछ बहुत कम उम्र में ही इसकी कई कविताएँ सुना सकते हैं। वे वास्तव में अच्छे बच्चे हैं।

शिष्य: दुष्टता द्वारा बुद्धि भ्रष्ट किये जाने के बाद, मुख्य भूमि चीन में कुछ दाफा अभ्यासियों ने दुष्टता को बंदी बनाये गये दाफा शिष्यों का दमन करने में सहायता की, जिससे वे शिष्य विकलांग हो गये। पीड़ितों के परिवार के सदस्य उनके विरुद्ध व्यक्तिगत क्षति के मुकदमे दायर करना चाहते हैं। गुरूजी, कृपया हमें बताएं कि हमें इसे कैसे संभालना चाहिए।

गुरूजी: साधारण लोगों के पास निश्चित रूप से इससे निपटने के अपने तरीके हैं। यदि किसी ने दमन के माध्यम से किसी को शारीरिक रूप से विकलांग कर दिया है, तो निश्चित रूप से पीड़ित पक्ष उसके पीछे पड़ जायेगा। साधना में, मनुष्य साधना करते हैं, देवता नहीं। यदि किसी ने मनुष्यों के बीच अपराध किया है, तो उसे निश्चित रूप से इसके लिए भुगतान करना होगा। लेकिन दूसरी ओर, यदि [बुद्धि भ्रष्ट किया गया व्यक्ति] वास्तव में फिर से साधना कर सकता है और दृढ़ता से साधना कर सकता है, तो यह संभव है कि बहुत सी चीजें बदल जाएंगी। मैंने कहा है कि यहाँ सब कुछ फा के लिए है, और यह सबसे महत्वपूर्ण है। लेकिन यदि आप चीजों को अच्छी तरह नहीं कर सकते हैं और यदि आप मानक पर खरे नहीं उतर सकते हैं, तो आप एक साधारण व्यक्ति हैं। और एक साधारण व्यक्ति के रूप में, आपको उन वास्तविकताओं का सामना करना होगा जिनका सामना साधारण लोग करते हैं।

शिष्य: सैन डिएगो के शिष्य गुरूजी को नमन करते हैं! गुरूजी, इस समय चीनी भाषा सीखने में बढ़ती रुचि को देखते हुए दाफा शिष्यों को क्या करना चाहिए? क्या चीनी भाषा के शिक्षण पर काम करने से फा का मान्यकरण करने वाली अन्य परियोजनाएं प्रभावित होंगी?

गुरूजी: वास्तव में, दाफा शिष्य जानते हैं कि दुष्ट कम्युनिस्ट पार्टी के कृत्यों के बारे में अमेरिकी अनभिज्ञ हैं। इतने वर्षों तक दुष्ट कम्युनिस्ट पार्टी के साथ संघर्ष करने के बाद भी अमेरिकी अभी भी पार्टी की संस्कृति को नहीं समझते हैं। दुष्ट सीसीपी द्वारा बनायी गयी वर्तमान पाठ्यपुस्तकें पार्टी की संस्कृति से भरी हुई हैं। यदि लोग मुख्य भूमि चीन की पाठ्यपुस्तकों का उपयोग करके चीनी सीखते हैं, तो क्या वे दुष्ट पार्टी की संस्कृति के लोगों के रूप में नहीं ढलेंगे? दाफा शिष्य इसे बहुत स्पष्ट रूप से देख सकते हैं, इसलिए उन्होंने सोचा है, "क्या हम कुछ पाठ्यपुस्तकें बना सकते सकते हैं और उन्हें अमेरिकी शैक्षणिक संस्थानों को उपलब्ध करा सकते हैं?" उस स्थिति में, पाठ्यपुस्तकों को अमेरिकी शिक्षण विभाग द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। ऐसा न करने पर, वे उपयोगी नहीं होंगी, भले ही आप उन्हें बना लें। यदि आपको लगता है कि आप इसमें सफल हो सकते हैं, तो आप इसमें आगे बढ़ सकते हैं, और यदि नहीं, तो इसका कोई महत्व नहीं होगा यदि यह नहीं किया जा सकता है।

शिष्य: एनटीडीटीवी प्रदर्शनों के लिए टिकटों का प्रचार करते समय, शिष्यों ने टिकटों के “प्रचार”के लिए एक संक्षिप्त अभिव्यक्ति, “तुई” अपनायी है। लेकिन चीनी भाषा में यह शब्द उस शब्द के समान लगता है जिसका अर्थ है “लौटा कर पैसे वापस लेना” (तुई)। लोगों ने सोचा कि क्या इसका कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

गुरूजी: इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं है। लेकिन चूंकि टिकटों का “प्रचार करना” और टिकटें “लौटा कर” पैसे वापस लेना दोनों में एक ही ध्वनि है, तो चलिए वाक्य बदल देते हैं। चलिए इसे “टिकटों की बिक्री का प्रचार करना” कहना बंद कर देते हैं और इसे “टिकट बेचना” (माई) कहते हैं—क्या इससे समस्या हल नहीं हो जायेगी? (श्रोता हंसते हैं) यह सच है—[आप कह रहे होंगे,] "टिकटों की बिक्री का प्रचार, टिकटों की बिक्री का प्रचार," और पहले तो मैं यह नहीं समझ सका कि आप "टिकटों की बिक्री का प्रचार" कह रहे थे या "टिकटें लौटा कर पैसे वापस लेना।" इसे “टिकट बेचना” कहना अच्छा होगा, है न? (श्रोता हंसते हैं)

शिष्य: न्यू टैंग डायनेस्टी टेलीविजन और द एपोक टाइम्स जैसे मीडिया संगठनों ने फा-सुधार में अतुलनीय भूमिका निभायी है। ऐसा क्या किया जा सकता है जिससे हमारे मीडिया आर्थिक रूप से अपने बल पर खड़े हो सकें और उन्हें कोई वित्तीय चिंता न हो?

गुरूजी: यह आप पर निर्भर करता है। मैंने इन चीजों के बारे में कई बार बात की है, लेकिन संभावित ग्राहकों से मिलने और बिक्री और प्रचार करने जैसे काम करने के लिए लोगों की हमेशा आवश्यकता होगी। चूँकि आप दाफा शिष्य हैं, इसलिए आपसे जो भी करने को कहा जाता है—चाहे वह लेख लिखना हो, सामग्री वितरित करना हो, या सड़कों पर उतरना हो—आप उसे अच्छी तरह कर सकते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि यदि आपसे संभावित ग्राहकों से मिलने और बिक्री और प्रचार करने को कहा जाये, तो आप ऐसा नहीं करना चाहते हैं।

शिष्य: पिछले व्याख्यानों में, गुरूजी ने हमेशा कहा है कि चीनी संस्कृति एक अर्ध-दिव्य संस्कृति है। आज आपने कहा कि यह एक दिव्य-प्रदत्त संस्कृति है।

गुरूजी: यह ऐसा ही है। चीनी लोगों को उनकी संस्कृति देने वाले दिव्य प्राणी थे, और यहाँ जो संस्कृति अभिव्यक्त होती है वह आधी मानवीय और आधी दिव्य है। दोनों असंगत नहीं हैं। चीन की संस्कृति एक अर्ध-दिव्य संस्कृति है, लेकिन यह देवताओं द्वारा मनुष्यों को प्रदान की गयी थी।

शिष्य: हम जो विदेशों में रहने वाले दाफा अभ्यासी हैं, उनकी चीन में रहने वाले उन अभ्यासियों के प्रति कैसी सोच होनी चाहिए जो विदेश आना चाहते हैं? क्या हमें उन्हें चीन में ही रहने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए?

गुरूजी: जब इन चीजों की बात आती है तो मैं कुछ भी स्पष्ट शब्दों में नहीं कहना चाहता। अन्यथा, आज मेरे कुछ कहने पर, बहुत से लोग अतिवादी हो जाएँगे। दाफा शिष्यों को वे काम पूरे करने हैं जो उन्हें करने चाहिए! यह बात सभी स्थानों पर लागु होती है चाहे वे कहीं पर भी हों। आपने जो प्रतिज्ञाएँ एक बार की थी, उन्हें पूरा किया जाना चाहिए, और जिन प्राणियों को आपको बचाना है, उन्हें अवश्य बचाना चाहिए!

शिष्य: फा का मान्यकरण करने वाली परियोजनाओं की बढ़ती संख्या के कारण, अमेरिकी सरकार को तथ्यों को स्पष्ट करने वाले लोगों की संख्या कम हो गयी है, और कई चीजें धीमी गति से आगे बढ़ रही हैं।

गुरूजी: वित्तीय संसाधनों, भौतिक संसाधनों और जनशक्ति की एक सीमित मात्रा होती है, और ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो हमें अभी भी करने की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में, आपको इस बात पर ध्यान देना होगा कि कौन सी चीजें महत्वहीन हैं, कौन सी महत्वपूर्ण हैं, और यह निर्धारित करना होगा कि इन सभी को अच्छी तरह कैसे संतुलित किया जाये।

कुछ सरकारों ने वास्तव में अच्छा काम नहीं किया है, और ऐसा इसलिए है क्योंकि प्राचीन शक्तियों ने विभिन्न देशों की सरकारों पर बहुत अधिक अंकुश लगा रखे हैं। ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए है क्योंकि वे जानती हैं कि दाफा शिष्यों को फा-सुधार में बहुत सी चीजें करनी हैं और उनके सामने बहुत बड़ी चुनौतियाँ हैं, और लक्ष्य दाफा शिष्यों के महान सदगुण को स्थापित करना है। यदि कोई शक्तिशाली सरकार कुछ कह दे, या सभी सरकारें दुष्ट पार्टी के शासन पर प्रहार कर दें, तो दुष्ट सीसीपी रातों-रात ढह जायेगी और दमन जारी नहीं रह पाएगा। उस स्थिति में, क्या दाफा शिष्यों की परीक्षा लेने वाला यह वातावरण अस्तित्व में रहेगा? और क्या वे तब भी साधना कर पाएंगे? तो प्राचीन शक्तियों ने प्रत्येक भिन्न-भिन्न सरकारों पर जो अंकुश लगा रखे हैं, वे सबसे शक्तिशाली प्रकार के हैं। आज की स्थिति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि बहुत शीघ्र दुष्ट पार्टी के सड़े हुए असुर अब प्रत्येक भिन्न-भिन्न सरकारों को नियंत्रित नहीं कर पाएँगे। अब जब दुष्टता का बड़े प्रमाण पर विनाश हो रहा है, तो दुष्टता की मनुष्यों को नियंत्रित करने की क्षमता तेजी से कम होती जा रही है।

शिष्य: मैंने देखा है कि बहुत से धार्मिक लोग हैं जो वास्तव में साधना करना चाहते हैं, परन्तु उनकी धार्मिक मान्यताएँ उन्हें सत्य समझने से रोक रही हैं।

गुरूजी: ऐसा उनके धर्मों के कारण नहीं है कि उन्हें सत्य समझने से रोका जा रहा है, बल्कि ऐसा इसलिए है क्योंकि उन धर्मों के हस्तक्षेप करने वाले देवताओं के कारक नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। अभी उस श्रेणी के कारक कम होते जा रहे हैं; उनमें से अधिकाधिक को नष्ट किया जा रहा है। धीरे-धीरे बड़े बदलाव आएंगे। बस प्रतीक्षा करें और देखें। (तालियाँ)

शिष्य: बेल्जियम, न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड, सैन फ्रांसिस्को बे एरिया, फ्रांस के बेसनकॉन, कनाडा के टोरंटो और एडमॉन्टन, दक्षिण अमेरिका, आयरलैंड, श्रीलंका और दक्षिण कोरिया के दाफा शिष्य गुरूजी को नमन करते हैं!

गुरूजी: आप सभी का धन्यवाद। (तालियाँ)

शिष्य: (यह प्रश्न एक पश्चिमी अभ्यासी का है।) गुरूजी ने कहा कि अभी यह व्यक्तिगत साधना नहीं रही है [जो हम कर रहे हैं], बल्कि चेतन जीवों को बचाना है। क्या मैं गुरूजी से इस बिंदु को अधिक गहराई से समझाने के लिए प्रार्थना कर सकता हूँ?

गुरूजी: किसी का व्यक्तिगत सुधार अभी भी प्राथमिक और सबसे महत्वपूर्ण है। मैं जो कह रहा था वह यह है कि फा का मान्यकरण करते समय, दाफा शिष्यों को जिन कार्यों को करने की आवश्यकता है, उनमें से सबसे महत्वपूर्ण बात है चेतन जीवों को बचाना, और यह अभी अति आवश्यक है। दाफा शिष्य समग्र रूप से, साधना के क्रम में, कई भिन्न-भिन्न चरणों से गुजरे हैं। 1999 की 20 जुलाई से पहले, दाफा शिष्यों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात व्यक्तिगत साधना में सुधार करना था। बाकी सब कुछ महत्वहीन था। उस समय, कई अभ्यासियों को लगा कि जैसे ही उन्होंने फा का अध्ययन किया और व्यायाम किया, वे रॉकेट की तरह ऊपर की ओर उड़ रहे थे। वे स्तर में बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहे थे। आप खड़े हों या बैठे हों, आप प्रगति कर रहे थे—आप चलते-फिरते या खाना खाते समय भी प्रगति कर रहे थे! वास्तव में ऐसा था कि उस समय, जब तक आप फा का अध्ययन कर रहे थे, आपको ऊपर की ओर धकेला जा रहा था; यह आवश्यक था कि दाफा शिष्यों को एक निश्चित समय के भीतर उनके उचित स्थानों पर पहुंचाया जाये। इस तरह वे समय आने पर चेतन जीवों को बचा सकेंगे। और इस प्रकार जब प्राचीन शक्तियां वास्तव में अपनी दुष्टतापूर्ण गतिविधियां आरम्भ कर देंगी और जब दमन वास्तव में आरम्भ हो जायेगा तब वे इसका सामना कर सकेंगे ।

फिर 20 जुलाई 1999 के बाद—अर्थात दमन के दौरान—[मुद्दा यह हो गया] कि क्या आप सच्चे दाफा शिष्य बन सकते हैं, और दमन के दौरान यह देखा जायेगा कि क्या आप खरा सोना हैं। [यह एक मुद्दा था] कि क्या आप आगे बढ़ सकते हैं और क्या आप दुष्टता के दबाव में साधना जारी रख सकते हैं। क्या इतिहास में कई धर्मों ने इसका सामना नहीं किया? क्या यह पूर्ण रूप से स्पष्ट नहीं था? लेकिन डर के मोहभाव और कई अन्य मोहभावों के कारण, कुछ लोग टिक नहीं सके। अचानक व्यक्ति को यह या वह [दाफा का भाग] पसंद नहीं आता था। लेकिन ऐसा नहीं था कि दाफा या गुरू द्वारा की गयी चीजें उसकी रुचि के अनुरूप नहीं थीं; बल्कि, यह था कि वह डर गया था और बहाने बना रहा था! वह आगे बढ़ने का साहस नहीं कर पा रहा था, पुस्तकें पढ़ने का साहस नहीं कर पा रहा था, फा में साधना करने का साहस नहीं कर पा रहा था, या व्यायाम करने का साहस नहीं कर पा रहा था।

अभी, फा-सुधार और दाफा शिष्यों ने दमन का सामना किया है, और ऐसा करते हुए उन्होंने फा का मान्यकरण किया है; और प्रत्येक कदम के साथ, वे अंत के और भी निकट पहुँच गये हैं। दुष्ट तत्वों को इस हद तक समाप्त कर दिया गया है कि शायद ही कोई बचा है, और दबाव अब उतना अधिक नहीं है। समग्र स्थिति को देखते हुए, अब यह प्रश्न नहीं है कि परिपक्वता प्रक्रिया के दौरान दाफा शिष्य फलपदवी प्राप्त कर सकते हैं या नहीं। वर्तमान में सबसे बड़ी बात जो करने की आवश्यकता है, वह यह समझना है कि संसार के और भी अधिक लोगों को कैसे बचाया जाये! सभी प्राणियों को बचाओ! यह दाफा शिष्यों के लिए एक बहुत बड़ा प्रयास बन गया है।

इस दमन के दौरान, दुष्टता ने न केवल दाफा शिष्यों को, बल्कि संसार के लोगों का भी दमन किया है! यदि किसी व्यक्ति के मन में दाफा के बारे में अनुचित विचार और सोच है, तो उसे फा-सुधार की शक्तिशाली धारा के आते ही नष्ट कर दिया जायेगा, क्योंकि वह जिसका विरोध कर रहा है, वह वही फा है जिसने भविष्य के पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया है। उस स्थिति में, वह कहाँ जा सकता है? यदि वह भविष्य में प्रवेश नहीं करना चाहता, तो वह केवल विघटित हो सकता है और उसका अस्तित्व समाप्त हो सकता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि दाफा शिष्य सभी प्राणियों को बचाएँ।

शिष्य: जब कई चीनी अभ्यासियों ने [आपने व्यक्तिगत साधना के बारे में जो कहा] सुना, तो उन्होंने अपनी स्वयं की साधना पर अधिक ध्यान देना छोड़ दिया। क्या ऐसा होना चाहिए? (गुरूजी: यह अति करना है, जो कि निश्चित रूप से अनुचित है।) क्या हमें व्यक्तिगत साधना में अपने निरंतर सुधार को आधार बनाकर चेतन जीवों को बचाना नहीं चाहिए?

गुरूजी: बिल्कुल यही मामला है। इसे उसी प्रकार किया जाना चाहिए। आप अपनी व्यक्तिगत साधना को नहीं छोड़ सकते। चाहे आप कुछ भी कर रहे हों, चाहे वह तथ्यों को स्पष्ट करना हो या दाफा का मान्यकरण करने वाली परियोजनाएँ करना हो, आपको सबसे पहले स्वयं की अच्छी तरह साधना करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए; तभी आप जो काम करते हैं वह अधिक पवित्र हो सकता है, क्योंकि तब आप एक दाफा शिष्य हैं, और एक दाफा शिष्य के रूप में फा का मान्यकरण करने के लिए काम कर रहे हैं। साधारण लोग भी वे काम कर सकते हैं जो दाफा शिष्य करते हैं, लेकिन उनमें दाफा शिष्यों का महान सदगुण नहीं हो सकता। वे केवल पुण्य और सदगुण प्राप्त कर सकते हैं, और भविष्य के लिए पुण्य संचित कर सकते हैं।

शिष्य:आयरलैंड के दाफा शिष्य हमारे करुणामयी, महान गुरूजी को नमन करते हैं! पिछले कई वर्षों के दौरान, आयरलैंड में फा का मान्यकरण करने के कार्य में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। दाफा शिष्यों द्वारा एक वर्ष से अधिक के कड़े परिश्रम के बाद, हम मूल रूप से फा-सुधार की प्रगति के साथ चल पा रहे हैं। गुरूजी, कृपया हमें बताएं कि हमने जो कठिनाइयाँ सही, क्या वे शिष्यों की परिश्रम की कमी के कारण थीं, या वे प्राचीन शक्तियों की व्यवस्थाओं और दुष्टता द्वारा दमन के कारण थीं?

गुरूजी: दोनों ही कारकों का योगदान था। पिछले कुछ वर्षों के दौरान, दुष्ट तत्व अधिक संख्या में थे, और इस वर्तमान अवधि के दौरान, दुष्ट तत्व कम हैं और दाफा शिष्य और अधिक परिपक्व हो गये हैं। बहुत से कारण थे। निःसंदेह, जो चीज अधिक महत्वपूर्ण है वह है स्वयं की अच्छी तरह से साधना करना।

प्रश्न: लिओनिंग प्रांत के शिनबिन शहर, बीजिंग के हुआइरौ क्षेत्र, बीजिंग के फेंगताई जिले, झेजियांग प्रांत, चोंगचिंग शहर की लियाओपिंग काउंटी, गांसु प्रांत के लान्झोउ शहर, जिनचांग शहर, गुलांग काउंटी, हार्बिन शहर, चांगझोउ शहर, बीजिंग के तोंगझोउ क्षेत्र, जियामुसी शहर, शंघाई सैन्य जिला, वुहान सैन्य क्षेत्र, चेंगदू सैन्य क्षेत्र, गुआंगझोउ सैन्य क्षेत्र,चीन एयरलाइंस प्रणाली, जियांग्शी प्रांत, शांक्सी प्रांत के युनचेंग शहर, झांगजियाको शहर, ग्वांगडोंग प्रांत के लेचांग शहर, हेबेई प्रांत के बाओडिंग शहर, वुहान शहर और शांक्सी प्रांत के दाफा शिष्य गुरूजी को नमन करते हैं! (गुरूजी: आप सभी का धन्यवाद!) अनहुई प्रांत के फूयांग शहर, हुबेई प्रांत के वुहान शहर, जिनझोउ शहर, चाओयांग शहर, ग्वांगडोंग प्रांत के शान्ताउ शहर और जीयांग शहर, बीजिंग के चाओयांग जिले और हैदियान जिले, लिओनिंग प्रांत के तिएलिंग शहर, फ़ुज़ियान प्रांत की चांगदिंग काउंटी, सिचुआन प्रांत के चेंगदू शहर, चेंगदू शहर के वेनज़ियांग क्षेत्र, हेनान प्रांत, हुआंगगैंग शहर, शानदोंग प्रांत के हेज़े शहर, शानक्सी प्रांत के याँलिआंग जिले, झांजिएंग शहर, बीजिंग के कला और मनोरंजन समुदाय, लिओनिंग प्रांत के बेन्क्सी शहर, दाचिंग शहर, कुनशान शहर, शेंगली तेल क्षेत्र, डोंगयिंग शहर, गुआंगज़ौ शहर, हेबेई प्रांत के बाओदिंग शहर, गांसु प्रांत के लान्झोउ शहर, झिंजियांग प्रांत, काइआन शहर, देयांग शहर, मियान्यांग शहर, संताई शहर, चांग्शा शहर, हेबेई प्रांत के चेंगदे शहर, लांगफैंग शहर के ज़ियांगहे क्षेत्र, युन्नान प्रांत, सिंघुआ विश्वविद्यालय, हुबेई प्रांत के माचेंग शहर, बीजिंग प्रौद्योगिकी संस्थान, ताइआन शहर, बीजिंग के शुन्यी क्षेत्र, चोंगचिंग शहर, शंघाई के यांगपु जिले, हेबेई प्रांत के शीज़ीयाज़ूआंग शहर और चिंगदाओ शहर के दाफा शिष्य गुरूजी को नमन करते हैं! (गुरूजी: आप सभी का धन्यवाद!)

नॉर्वे, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड, अमेरिका के सिएटल, कनाडा, मेलबर्न शहर, वेनेजुएला, अर्जेंटीना, पेरू, मैक्सिको, चिली, डोमिनिकन गणराज्य, डेनमार्क, नीदरलैंड, इंडोनेशिया, चेक गणराज्य, स्लोवेनिया, जापान, मॉन्ट्रियल, स्वीडन, फिनलैंड, सैन डिएगो, ओटावा, क्यूबा, बोस्टन, हांगकांग, मकाऊ, ऑस्ट्रेलिया, ह्यूस्टन, न्यूयॉर्क, लाओस, न्यू मैक्सिको, मलेशिया, न्यूजीलैंड, इजरायल, लॉस एंजिल्स, फ्रांस, इटली के सिसिली, वियतनाम, न्यूयॉर्क के अल्बानी, भारत [के शिष्य], और फी तियान नृत्य विद्यालय के सभी शिक्षक और छात्र गुरूजी को नमन करते हैं।

गुरूजी: आप सभी का धन्यवाद! (तालियाँ)

शिष्य: मेरा बच्चा हाई स्कूल का छात्र है। वह फा का अध्ययन कर रहा है, लेकिन वह उतना परिश्रमी नहीं है जितना बचपन में था। जब भी वह साधारण समाज की बुरी चीजों के निकट जाता है, तो मुझे बहुत चिंता होती है।

गुरूजी: हाँ, जब बच्चे ऐसी आयु के होते हैं कि दाफा शिष्य व्यक्तिगत रूप से उनकी देखभाल कर सकें, तब चीजें बहुत अच्छी होती हैं। आपने बच्चों को फा का स्मरण करना और हर दिन व्यायाम करना सिखाया। हालाँकि, जैसे ही बच्चों ने स्कूल जाना आरम्भ किया, चीजें बदल गईं। बच्चों पर समाज का जो प्रभाव पड़ता है, वह सचमुच बहुत बड़ा है। इसका संबंध पूरे समाज की नैतिकता के नीचे की ओर गिरने से है। बच्चों के पास इसे रोकने का कोई तरीका नहीं है। जैसे ही वे समाज में प्रवेश करते हैं, वे एक बड़े कलुषित प्रवाह में प्रवेश करते हैं। यदि आप अपने बच्चों को फा का अध्ययन करने और व्यायाम करने के लिए प्रेरित करने में सक्षम होते हैं, जैसा कि आप पहले करते थे, तो उनके लिए समाज के साथ नीचे की ओर गिरना सरल नहीं होगा। कई युवा दाफा शिष्य दूसरी दिशा में चले गये हैं और बड़े होने पर काफी बुरे हो गये हैं, और यही कारण है।

शिष्य: गुरूजी, कृपया बताएं कि एक परियोजना को बेहतर ढंग से करने तथा अन्य परियोजनाएं आरम्भ करने की मांगों के बीच किस प्रकार संतुलन बनाया जाये।

गुरूजी: यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आप आपस में चीजों का समन्वय कैसे करते हैं। आप इसे कैसे संतुलित करते हैं, यह आप पर निर्भर करता है। किसी परियोजना को अच्छी तरह से पूरा करने के लिए किसी व्यक्ति को जो शक्ति लगानी पड़ती है, वह अधिक होनी चाहिए। यदि [आपके पास पहले से जो है] उसके ऊपर नई परियोजनाएं आरम्भ की जाती हैं, तो निश्चित रूप से समय कम बचेगा। अक्सर ऐसा होता है। इन चीजों को कैसे संभाला जाना चाहिए? हमारे कई दाफा शिष्यों के पास कई परियोजनाओं के उत्तरदायित्व हैं, और चीजें वास्तव में काफी कठिन हैं। गुरु आपकी चुनौतियों के बारे में जानते हैं। भविष्य में, मैं मुख्य भूमि चीन में दाफा शिष्यों को इन चुनौतियों के बारे में बताऊंगा, जिनका आपने सामना किया है, और उन्हें बताऊँगा कि आपने ऐसी कठिन परिस्थितियों में कैसे फा का मान्यकरण किया है और उन पर दुष्टता द्वारा किये जाने वाले दमन को रोका है।

शिष्य: दाफा शिष्यों ने लोगों की कमी होने पर भी कई काम किये हैं, लेकिन कुछ परियोजनाओं के परिणाम आदर्श नहीं रहे हैं। मुझे लगता है कि कुछ परियोजनाओं के लिए हमें और अधिक परिपक्व बनने की आवश्यकता है, और तभी वे बेहतर तरीके से आगे बढ़ पाएंगी।

गुरूजी: यह ऐसा ही है। [आपने जिस बात का उल्लेख किया है] वह नये वर्ष के प्रदर्शन की तरह ही है। कुछ वर्षों तक, हमारे दाफा शिष्यों ने इसमें बहुत प्रयास किया, लेकिन प्रभाव सीमित था क्योंकि परिपक्वता का स्तर उचित नहीं था। एक बार जब यह परिपक्व स्तर का हो गया, तो यह पूर्ण रूप एक अलग बात हो गयी।

शिष्य: दाजीयुआन द्वारा प्रकाशित श्रृंखला “डिसॉल्विंग द कल्चर ऑफ द सीसीपी” पार्टी की संस्कृति का गहन विश्लेषण प्रदान करती है, लेकिन यह [समस्या का] कोई स्पष्ट उत्तर नहीं देती है। क्या इसका उत्तर दाफा शिष्यों द्वारा दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे फा का मान्यकरण करते हैं?

गुरूजी: इसका उत्तर पाँच हजार वर्ष प्राचीन चीनी सभ्यता में छिपा है। पाँच हजार वर्ष प्राचीन चीनी संस्कृति सच्ची, वैध मानवीय संस्कृति है। यही इसका उत्तर है।

शिष्य: गुरूजी, क्या आप फा-सुधार में सत्य-करुणा-सहनशीलता कला प्रदर्शनी के महत्व के बारे में बता सकते हैं?

गुरूजी: आप सभी जानते हैं कि मानव समाज के पतन में कई मुख्य चीजें अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। एक है प्रदर्शन कलाओं में [हाल ही में] बनायी गयी कृतियाँ, और दूसरी हैं कलाओं में [हाल ही में] बनायी गयी कलाकृतियाँ। ये वे हैं जो लोगों को सबसे सीधे प्रभावित करती हैं, और लोगों के मन और चेतना, साथ ही ज्ञानेन्द्रियों पर सबसे बड़ा प्रभाव डालती हैं। वे लोगों के नैतिक मानकों में बदलाव को सीधे प्रभावित करती हैं और उनमें बदलाव लाती हैं, और वे मनुष्यों को सबसे तेज और सबसे सीधे तरीके से भ्रष्ट करती हैं। इसलिए, आधुनिकतावादी कला, आधुनिकतावादी संस्कृति और आधुनिकतावादी प्रदर्शन कलाओं द्वारा अपनाए गये रूप अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। मानव जाति ने कलात्मक सृजन के सच्चे, वैध रूपों को त्याग दिया है जो देवताओं ने मनुष्य को प्रदान किए थे, और कुछ ऐसी चीजें बनायी हैं जो आधुनिकतावादी हैं और आसुरिक प्रकृति से भरी हुई हैं, जो उन चीजों को नकारती हैं जो देवताओं ने मनुष्य को दी थीं और दैवीय रूप से प्रदान की गयी कलात्मक रचना के सच्चे स्वरूपों के महत्त्व को व्यर्थ कर देती हैं।

दाफा शिष्य जानते हैं कि मानव संस्कृति मनुष्य को दैवीय रूप से प्रदान की गयी थी और दिव्य में विश्वास न करना मानव नैतिकता के पतन का मूल कारण है। इस प्रकार दाफा शिष्य चीजों को मनुष्य के गिरे हुए नैतिक मानक के साथ नहीं देख सकते हैं। दाफा शिष्य जो कुछ बनाते हैं वह ऐसी चीजें होनी चाहिए जो देवताओं द्वारा मनुष्य को प्रदान की गयी चीजों की याद दिलाती हों। उस स्थिति में, आप जो कर रहे हैं वह अपने आप में भ्रष्ट तत्वों को रोकता और दबाता है, और चीजों को उनकी मूल स्थिति में पुनर्स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाता है। यह निश्चित है, इसलिए कला प्रदर्शनी अपने आप में दमन को उजागर करती है, साथ ही साथ कलाकृतियों को बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली विधियों के माध्यम से लोगों को वापस [उचित स्थिति में] लाती है; यह उन्हें मानवता के मार्ग पर लौटने में सक्षम बनाती है, और लोगों को मुड़कर वापस जाने में सहायता करती है।

जब मनुष्य कला बनाने के उन तरीकों को त्याग देते हैं जो देवताओं ने किसी समय मनुष्य को सिखाये थे, तो सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों ने कला के निर्माण करने के बारे में अपनी मानसिकता और विचारों को प्राथमिकता दी है, और उस दिशानिर्देश को त्याग दिया है जो देवताओं ने मनुष्य को सिखाया था : चीजों को उनके वास्तविक रूप में चित्रित करना। जब कला का निर्माण किया जाता है, तो वस्तुओं को उनके वास्तविक रूप में चित्रित करना प्राथमिक और सबसे महत्वपूर्ण होता है, और इसे बदला नहीं जा सकता। इसका कारण यह है कि, यह दैवीय रूप से प्रदान की गयी थी, और यह वह मानक है जिसके द्वारा किसी कलाकार की तकनीकी निपुणता के स्तर को सत्यापित किया जाता है। एक बार इसे बदल दिये जाने के बाद, चीजें अव्यवस्थित हो जाती हैं और उनमें सिद्धांत की कमी हो जाती है, और यही आधुनिकतावादी चीजों के प्रकट होने के पीछे का कारण है। जब मनुष्य, अपनी कलात्मक रचनाओं में, चीजों को उनके वास्तविक रूप में चित्रित करके प्रामाणिकता को सर्वोच्च स्थान देने में विफल रहता है, तो वह जो बनाता है वह केवल लक्ष्यहीन चित्रकारी होती है, न कि उच्च कला। चूँकि मनुष्य अब मानक के अनुरूप नहीं हैं और उनका नैतिक मानक भ्रष्ट हो गया है, जब वे पवित्र विचारों से रहित होते हैं, तो देवता उन्हें छोड़ देते हैं। [मनुष्यों द्वारा लिया गया] मार्ग तब और भी अधिक लक्ष्यहीन एवं और भी अधिक खतरनाक हो जाता है।

शिष्य: साक्षात्कारों के दौरान, मुख्य भूमि चीन के कुछ प्रसिद्ध वकीलों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और साधारण लोगों ने बार-बार हमसे गुरूजी को उनकी ओर से नमन करने के लिए कहा है। उन्हें लगता है कि दाफा शिष्य ही चीन के भविष्य की एकमात्र आशा हैं।

गुरूजी: ऐसा कहना अनुचित नहीं है, लेकिन दाफा शिष्यों को साधारण लोगों की राजनीतिक शक्ति में कोई रूचि नहीं है, न ही वे साधारण मामलों में सम्मिलित होंगे। हम केवल दमन का विरोध कर रहे हैं और लोगों को बचा रहे हैं। मनुष्यों द्वारा मानवीय राजनीतिक शक्ति को अधिक महत्व देना अनुचित नहीं है, और भविष्य में किस प्रकार की राजनीतिक इकाई शासन करेगी, यह समाज के लिए महत्वपूर्ण है। दाफा शिष्य साधक हैं। दुष्ट सीसीपी को विघटित करना दमन को समाप्त करने का यही एक मूल तरीका है, और दुष्ट सीसीपी के अपराधों को उजागर करना उन सभी जीवों को बचाने के लिए किया जाता है जो इसके द्वारा विषाक्त हो गये हैं। त्रिलोक की हर चीज दाफा शिष्यों की साधना के लिए और वर्तमान में प्राणियों को बचाने के लिए बनायी गयी थी, और दाफा शिष्यों के मामले सबसे महत्वपूर्ण हैं। जब भविष्य में फा मानव संसार का सुधार करेगा, तो मानव जाति के लिए मामलों की एक नयी स्थिति होगी। दूसरे शब्दों में, भविष्य में जो होगा वह भविष्य के लिए होगा। इसलिए दाफा शिष्यों को केवल वही करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो उन्हें करना है। निकट भविष्य में, देवता स्वयं को मानवजाति के सामने प्रकट करेंगे, और वह सब कुछ जिस पर मानवजाति विश्वास नहीं करती है, उसे बचे हुए लोगों के सामने प्रदर्शित किया जायेगा, और मानवजाति उस मार्ग पर वापस लौट आयेगी जिसका अनुसरण उन्हें वास्तव में करना चाहिए।

शिष्य: हुबेई प्रांत के माचेंग में दाफा शिष्यों को गुरूजी की बहुत याद आती है। उन्होंने मुझे आपको नमन करने के लिए कहा। (गुरूजी: मैं माचेंग में दाफा शिष्यों को धन्यवाद देता हूँ।) कल मैंने मिंगहुई वेबसाइट पर पढ़ा कि मुख्य भूमि चीन में शिष्य मिंगहुई रेडियो के प्रसारण का अनुसरण कर रहे हैं और पूरे चीन में एक साथ अभ्यास कर रहे हैं, और परिणाम काफी अच्छे रहे हैं। चीन के बाहर दाफा शिष्यों को क्या करना चाहिए?

गुरूजी: यह तो अच्छी बात होनी चाहिए। मैं अभी भी इस पर दृष्टि रख रहा हूँ और देखना चाहता हूं कि अंततः इसका परिणाम क्या होगा।

शिष्य: हाल ही में मैंने मुख्य भूमि चीन से कई लोगों को आमंत्रित किया था जो स्वयं को दाफा शिष्य कहते हैं, और मैंने देखा है कि प्राचीन शक्तियां इन अभ्यासियों की कमियों का लाभ उठाती हैं। वे एक ही क्षेत्र से हैं और दावा करते हैं कि वे गुरूजी की फा-सुधार में सहायता करने के लिए अमेरिका आये हैं। लेकिन उनके साथ मेरी बातचीत में, मैंने देखा कि वे वास्तव में वे चीजें नहीं करते जो दाफा शिष्यों को करनी चाहिए। अपनी आप्रवासन स्थिति या नौकरी इत्यादि से जुड़ी चीजों में व्यस्त रहने के अतिरिक्त, उनकी साधना की स्थिति अच्छी नहीं है।

गुरूजी: ठीक है। मैं अभी कुछ नहीं कहना चाहता, और मैं अभी कोई निष्कर्ष नहीं निकालना चाहता, क्योंकि मैं जो कुछ भी कहूंगा, उससे उनकी साधना में कठिनाईयां आएंगी। कोई व्यक्ति सफल हो पायेगा या नहीं, यह केवल इस बात से निर्धारित नहीं होता कि वह साधना करता है या नहीं, बल्कि इस बात से भी निर्धारित होता है कि क्या वह जीव बचाये जाने योग्य है। जो भी हो, चाहे वे चीन छोड़ चुके हों या अभी भी वहीं हों, उन्हें स्वयं को सच्चे दाफा शिष्यों के रूप में आचरण करना चाहिए। अन्यथा इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि वे कहाँ हैं।

शिष्य: हालाँकि मेरे परिवार के सभी सदस्य दाफा के शिष्य हैं, फिर भी हम लंबे समय से कुछ विवादों को हल नहीं कर पाये हैं। मैं इससे व्याकुल और दुखी हूँ।

गुरूजी: जैसे-जैसे दाफा शिष्य साधना करते हैं, विवाद निश्चित रूप से सामने आते हैं। यदि आप सभी अपने भीतर नहीं झांक सकते, तो चाहे आप एक ही परिवार से हों या साथी अभ्यासी हों, विवाद बढ़ते रहेंगे और समय बीतने के बाद भी आप परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे। तो फिर आप इसे कैसे हल कर सकते हैं? आप सभी को अपने भीतर झांकना चाहिए। यदि एक व्यक्ति ऐसा करने में अग्रणी भूमिका निभाने में सक्षम है, तो वह चीजों को सरल बना देगा। यदि आप सभी ऐसा करने में सक्षम हैं, तो चीजें हल हो जाएंगी।

कई दाफा शिष्य अपने परिवार के सदस्यों के प्रति हमेशा किस प्रकार की सोच रखते हैं? "वे मेरे परिवार के सदस्य हैं, इसलिए जब उनके लिए अच्छी चीजों की बात आती है, तो उनके लिए मैं निर्धारित करूँगा। उनकी कुछ चीजों को मैं संभाल लूँगा, क्योंकि आखिरकार, मैं ही उनके सर्वोत्तम हितों का ध्यान रख रहा हूं।" यह ऐसे काम नहीं करता। एक बार जब आप साधना आरम्भ करते हैं, तो आप साथी अभ्यासी होते हैं, और आप में से प्रत्येक को अपने दिव्यलोक में लौटना है। जिसने भी अच्छी तरह साधना की है, वह वापस लौट पायेगा, और कोई भी किसी के बदले में [साधना] नहीं कर सकता। साधारण लोगों में, ऐसा हो सकता है कि एक बार कोई शक्तिशाली अधिकारी बन जाये, तो वह अपने साथ-साथ परिवार को भी लाभ पहुंचा सकता है। ऐसा हो सकता है, क्योंकि वे साधारण मानवीय मामले हैं। लेकिन यह उन मामलों के साथ काम नहीं करता है जो साधारण मानवीय मामलों से परे हैं। जो कोई भी साधना करता है, उसे लाभ होता है, और यदि कोई व्यक्ति साधना नहीं करता है, तो उसे लाभ नहीं होगा—कोई भी किसी के बदले में साधना नहीं कर सकता। ऐसा होने पर, आपको अपने बीच उभरने वाली समस्याओं और संघर्षों को गंभीरता से लेना चाहिए। आप साधारण लोगों की तरह व्यवहार नहीं कर सकते, जो अपनी मर्जी से कुछ भी करते हैं। यदि आप अपने परिवार के सदस्यों को वास्तव में दाफा शिष्यों और साथी अभ्यासियों के रूप में मानते हैं, जब साधना के मामलों को संभालने की बात आती है, तो मुझे लगता है कि आप निश्चित रूप से विवादों को हल करने में सक्षम होंगे।

शिष्य: मुख्य भूमि चीन में दाफा शिष्यों ने बुद्ध शाक्यमुनि, बोधिसत्व गुआनयीन और उनकी तरह अन्य की छवियों के साथ कई तावीज बनाए हैं। गुरूजी द्वारा "त्रिलोक में सभी हस्तक्षेप करने वाले देवताओं को पूर्ण रूप से विघटित करें जिनका फा-सुधार में हस्तक्षेप करने में सरोकार है" लेख प्रकाशित होने के बाद, कुछ शिष्यों ने निष्कर्ष निकाला कि तावीजों पर उन देवताओं की छवियों का उपयोग करना अनुचित है। गुरूजी, कृपया हमें इस पर कुछ मार्गदर्शन दें।

गुरूजी: निःसंदेह यह अनुचित है। पहले ये मनुष्यों के लिए काम करते थे, इसका कारण यह था कि गुरु उनसे काम करवा रहे थे, इस तथ्य के आधार पर कि आप लोगों को बचा रहे थे। लेकिन आपके लिए ऐसा करना उचित नहीं था। दाफा शिष्यों को दाफा का मान्यकरण करना है, तो आप दूसरे देवताओं का मान्यकरण कैसे कर सकते हैं? जब यह बात आएगी, तो वे लोग किसके द्वारा बचाये जाएँगे? क्या यह एक बड़ी समस्या नहीं है? क्या यह लोगों को उन देवताओं पर विश्वास करने के लिए प्रेरित नहीं करता है, जिन्हें स्वयं भी फा-सुधार के दौरान दाफा पर अपना पक्ष लेने की आवश्यकता है? [वे देवता] बने रह सकते हैं या नहीं, यह अभी भी उनके कार्यों पर निर्भर करता है। उन तावीजों का अपने आप में कोई प्रभाव नहीं है—यह गुरु ही हैं जो उन्हें कार्यान्वित कर रहे हैं। फा का मान्यकरण करना दाफा शिष्यों का कार्य है, और उन देवताओं का कार्य बिल्कुल नहीं है। आपको इस पर स्पष्ट होना चाहिए।

शिष्य: मैंने हाल ही में कई साथी अभ्यासियों को [किसी के लिए] अधिक भावनाओं (चिंग) के कारण कठिनाइयों से गुजरते देखा है।

गुरूजी: हाँ, यह सच है। दुष्ट सीसीपी मानव समाज को विनाश की ओर धकेलना चाहती है, और यही वह तरीका है जिसका वह उपयोग करती है। गबन, भ्रष्टाचार और इस प्रकार की चीजों का अधिक महत्व नहीं है। आइए इसे दूसरे दृष्टिकोण से देखें। मान लें कि कोई व्यक्ति गबन और भ्रष्टाचार में सम्मिलित है, और वह जो धन गबन करता है वह सीसीपी का है। यदि उसके भ्रष्टाचार के कारण सीसीपी कमज़ोर हो जाती है, तो उसने वास्तव में कुछ अच्छा किया है। (श्रोता हँसते हैं, तालियाँ बजाते हैं) तो यह कोई समस्या नहीं है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि दुष्ट सीसीपी मानवीय नैतिकता को नष्ट कर रही है। सीसीपी जानती है कि फालुन गोंग सत्य, करुणा, सहनशीलता सिखाता है और लोगों को अच्छा बनना सिखाता है, इसलिए यह बदले में लोगों को बुरा बनना सिखाती है, विशेषकर विपरीत लिंग के सदस्यों के साथ संबंधों के मामले में। क्या आप जानते हैं कि चीनी समाज कितनी गहराई तक डूब चुका है? यह बहुत ही भ्रष्ट है—एक ऐसा समाज जो पूर्ण रूप से भ्रष्ट हो गया है। आजकल एक पवित्र युवा लड़की, एक भोली-भली लड़की मिलना वास्तव में कठिन है। यह इतना बुरा क्यों हो गया है? क्या [सीसीपी] बस लोगों को नष्ट नहीं करना चाहती है? क्या दाफा शिष्य साधना करके अपने मूल स्वरूप में वापस नहीं लौटना चाहते? जब बात इस पर आती है तो आप स्वयं पर ध्यान क्यों नहीं देते? क्या आप समाज के साथ-साथ, दुष्ट सीसीपी के साथ-साथ भ्रष्ट होना चाहते हैं? क्या यह गंभीर मामला नहीं है? इस दृष्टिकोण से चीजों को देखते हुए, क्या मुख्य भूमि चीन में लोग अभी भी मानवीय स्थिति में हैं? क्या यह गंभीर नहीं है?! दाफा शिष्यों को हस्तक्षेप करना है और संसार के पतन को रोकना है! यह मानव जाति को नीचे की ओर न गिरने देने के बारे में है, तो ऐसा क्यों है कि आप इतने लंबे समय से स्वयं उससे बाहर निकलने में सफल नहीं हुए हैं? आपको निश्चित रूप से इस पर ध्यान देना चाहिए!

दाफा शिष्यों को, किसी भी परिस्थिति में, इस संबंध में कोई और समस्या नहीं होनी चाहिए। मैं नहीं चाहता कि आप इस प्रकार की गलतियाँ करें। प्रदर्शन कला कंपनी में लड़के और लड़कियों को साधारणतः ऐसे ही घुलने-मिलने की अनुमति नहीं है। साथ ही, चूँकि वे बहुत छोटे हैं, इसलिए उन्हें साथ में अकेले घुमने की कड़ी मनाही है। अन्य दाफा शिष्यों को भी इन मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि हमारी अकादमी में इस प्रकार की समस्या होती है, तो इसमें सम्मिलित सभी लोगों को बिना किसी अपवाद के घर भेज दिया जायेगा। जब दाफा शिष्य स्वयं अच्छा नहीं कर सकते, तो वे चेतन जीवों को नहीं बचा सकते। यदि आप स्वयं अच्छा नहीं कर सकते, तो आप चेतन जीवों को कैसे बचा सकते हैं? जब आपके विचार अपवित्र हैं, तो आप उस कार्य को कैसे अच्छे से कर सकते हैं? उस दशा में यह दुष्टता की सहायता करने के समान है।

शिष्य: मुझे फा प्राप्त हुए एक वर्ष से भी कम समय हुआ है। मैंने तीन चीजों को अच्छी तरह करने और फा-सुधार के विशाल प्रवाह के साथ बने रहने के लिए निरंतर कड़ा परिश्रम किया है। हाल ही में फा प्राप्त करने वाले शिष्यों के लिए आपके किस प्रकार के सुझाव हैं?

गुरूजी: यह एक बहुत अच्छा प्रश्न है। उन दाफा शिष्यों से, जिन्होंने अभी-अभी फा प्राप्त किया है, मैं कहता हूँ कि आप बहुत भाग्यशाली हैं। क्या आप जानते हैं कि आप किस प्रकार के समूह में सम्मिलित हुए हैं? ये साधक सबसे कठिन परीक्षाओं से गुजरने के बाद यहाँ तक पहुँचे हैं। निःसंदेह, यह दमन अभी समाप्त नहीं हुआ है, लेकिन दुष्टता अब इतनी प्रचुर या व्यापक नहीं है, और दबाव अब इतना अधिक नहीं है। हालाँकि, ऐसा नहीं होगा कि केवल इसलिए कि आपने [दाफा] में हाल ही में प्रवेश किया है, आपके लिए साधना का स्तर कम हो जायेगा। इसलिए साधना में आपको उन तीन चीजों को करने के लिए कड़ा परिश्रम करना चाहिए जो दाफा शिष्यों को अच्छी तरह से करनी चाहिए, और साथ ही चेतन जीवों को बचाना चाहिए और उन भूमिकाओं को पूरा करना चाहिए जो दाफा शिष्यों को करनी चाहिए। इन चीजों को अच्छी तरह से करने के लिए, आपको फा का अच्छी तरह से अध्ययन करना चाहिए। फा का अध्ययन करने में अधिक प्रयास करें, और आप फा-सुधार की प्रगति के साथ बने रहने में सक्षम होंगे, और आप एक प्रभावशाली तरीके से एक दाफा शिष्य बन जाएँगे जो उस पदवी के योग्य है और फा-सुधार अवधि का है।

आज के लिए बस इतना ही। (तालियाँ)

गुरु आप सभी को देखकर बहुत प्रसन्न हैं (उत्साहपूर्ण तालियाँ), विशेष रूप से आज। (तालियाँ) दाफा शिष्य जिन्होंने इस दमन के दौरान सफलता प्राप्त की है : आप वास्तव में असाधारण हैं। (तालियाँ) आपको वह सारा सम्मान और गौरव मिलेगा जो भविष्य में दाफा शिष्यों को मिलना चाहिए। (तालियाँ) आपने समय की सबसे कष्टदायक, कठिन अवधि को पार किया है। मुझे लगता है कि दाफा शिष्यों को, अंत में बचे हुए सीमित समय में, अपने ऐतिहासिक उद्देश्यों को और भी बेहतर और भव्य तरीके से पूरा करना चाहिए! (देर तक तालियाँ)




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